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अच्छा हुआ की उन दोस्तो का साथ छूट गया......

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अच्छा हुआ कि उन दोस्तों का साथ छूट गया जिनकी दोस्ती की नींव कमजोर थी। वरना न जाने किन परिस्थितियों में धोखे का सामना करना पड़ता। जिनके सामने सबकुछ न्यौछावर कर दो वही अंत में कहते हैं तुम्हारे बुरे हालात में खुशी मनाते फिरते है। अरे नहीं भाई... तुमसे नफ़रत नहीं परन्तु तुम्हारी औकात ही नहीं मुझे समझने की.!!! कोई तुम्हें क्यों समझेगा.. मैं जान गया दोस्ती जैसा कुछ नहीं होता...दोस्ती रिश्तों का मैल है जो समयानुसार आता जाता रह जाता है। हर पड़ाव पर जीवन के कुछ संबध पीछे छोड़ने पड़ते हैं और कुछ स्वतः छूट जाते हैं लेकिन दर्द तब ज्यादा होता है आपसे 100% के एवज में 10% भी न मिले। उनके जीवन मे नए लोगों आने के बाद आपका जिगरी दोस्त भी आपके उम्मीदों पर लात मारकर निकल सकता है। ©️ कुमार विपिन मौर्य #kumarvipinmaury