बहुत खूबसूरत गजल लिख रहे हो मैं मजदूरों के हालात को लिख रहा हूं।
बहुत खूबसूरत गजल लिख रहे हो मैं मजदूरों के हालात को लिख रहा हूं।
यह पैदल चल रहे हैं मजदूरों के हाथ ही तुम्हारे सांसद और ताजमहल के नाम लिखे हैं ।।
तुमने वादे तो बड़े-बड़े किए थे देश का मजदूर उन वादों पर पैदल चल रहा है।
बहुत खूबसूरत गजल लिख रहे हो मैं मजदूरों का हालात लिख रहा हूं।।
पापी पेट उन्हें घरों से हजारों मिलो दूर ले गया उनकी आंखों में से देखा गया सपना आज टूट ही गया।
बहुत खूबसूरत तुम गजल दिखाए हो मैं मजदूरों का हालात लिख रहा हूं।।
देश में पैदल चल रहे हैं लोगों से आत्मनिर्भर होने को बता रहे हो विदेश में फंसे लोगों के लिए बंदे भारत चला रहे हो।
बहुत खूबसूरत गजल लिख रहे हो मैं मजदूरों की हालात लिख रहा हूं।।
चुनाव के वक्त तुमने वादे बड़े-बड़े किए थे देश का मजदूरों वादा ढूंढ रहा है।
बहुत खूबसूरत गजल लिख रहे हो मैं मजदूरों की हालात लिख रहा हूं।।
तुम्हारे नजरों में जो मजदूर बने बैठे हैं हमारी नजरों में वह भगवान बने बैठे हैं ।
बहुत खूबसूरत गजल लिख रहे हो मैं मजदूरों की हालात लिख रहा हूं।।
जिस माटी में तुम जन में हो उस माटी में मिला उनका पसीना है जिस बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में तुम रहते हो यह उनके हाथ की कठपुतली है।
बहुत खूबसूरत गजल लिख रहे हो मैं मजदूरों का हालात लिख रहा हूं।।
सियासत बाद में तुम कर लेते पहले बचा लेते मजदूरों को अबकी बार चुनाव आने दो अबकी बारी पूछेगा मजदूर भी।
बहुत खूबसूरत गजल लिख रहे हो मैं मजदूरों का हालात लिख रहा हूं।।
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