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कहानी A.I.S.F. के गठन से संघर्ष तक की

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ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन' (ए आई एस एफ) या AISF भारत स्तर पर पहला छात्र संगठन है। संगठन की स्थापना 12-13 अगस्त 1936 लखनऊ के गंगाप्रसाद मेमोरियल हॉल में हुई, सम्मेलन की अध्यक्षता पण्डित जवाहर लाल नेहरू व एम ए जिन्ना ने की, महात्मा गांधी ने छात्रो की इस पहले अखिल भारतीय संग़ठन की स्थापना के लिए शुभकामनाएं सन्देश भेजे। शांति! प्रगति !! और स्वतंत्रता !!!, के नारे के साथ छात्रों ने इसकी स्थापना की थी। स्वतंत्रता सेनानियों और उस समय के क्रांतिकारियों के मार्गदर्शन के साथ एआईएसएफ ने भारत की आजादी के लिए काम किया। आजादी के बाद संगठन ने शांति! प्रगति!! और वैज्ञानिक समाजवाद !!! का नारा दिया । इसने सबको शिक्षा,सभी को रोजगार के अधिकार, न्याय और सभी के लिए अवसर के लिए आंदोलन शुरू किया। भारत में अधिकांश राज्यों में संगठन की राज्य समितियां हैं। भारत के छात्र इस देश की आजादी के लिए लड़े लोगों के सामने हैं। ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ उठने और औपनिवेशिक योक से देश को मुक्त करने के लिए राष्ट्र की आह्वान से प्रेरित, छात्रों ने स्वतंत्रता संग्राम में आगे बढ़े। आजादी के लिए वीर लड़ाई में गौरवशाली अ...

गांधी जी के प्रमुख 5 आंदोलन

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________चंपारण आन्दोलन_________ अंग्रेज बागान मालिकों ने चंपारण (बिहार) के किसानों से एक करार कर रखा था, जिसके अंतर्गत किसानों को अपने कृषिजन्य क्षेत्र के 3/20 वें भाग पर नील की खेती करनी होती थी। इसे तिनकठिया पद्धति के नाम से जाना जाता था। 19वीं सदी के अंतिम दिनों में रासायनिक रंगों की खोज और उनके बढ़ते प्रचलन के कारण नील की मांग कम होने लगी और उसके बाजार में भी गिरावट आने लगी। इसके कारण नील बागान मालिक चंपारन के क्षेत्र में भी अपने नील कारखानों को बंद करने लगे। किसानों को भी नील का उत्पादन घाटे का सौदा होने लगा। वे भी नील बागान मालिकों से किए गए करार को खत्म करना चाहते थे।  किसानों से हुए करार से मुक्त करने के लिए बागान मालिक भारी लगान की मांग करने लगे। परेशान किसान विद्रोह पर उतर आए। यहां के राजकुमार शुक्ल ने किसानों का नेतृत्व संभाला। 1916 में राजकुमार शुक्ल ने लखनऊ जाकर महात्मा गांधी से मुलाकात की और चंपारन के किसानों को इस अन्यायपूर्ण प्रक्रिया से मुक्त कराने के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने का अनुरोध किया। गांधी जी ने उनका अनुरोध स्वीकार लिया। महात्मा गांधी, राजकुमा...