गांव गया था........


गाँव गया था 
गाँव से भागा ।  
*पंचायत की चाल देखकर* 
**आँगन में दीवाल देखकर* 
सिर पर आती डाल देखकर 
नदी का पानी लाल देखकर 
और आँख में बाल देखकर 
गाँव गया था 
गाँव से भागा । 

गाँव गया था 
गाँव से भागा । 
*सरकारी स्कीम देखकर* 
*बालू में से क्रीम देखकर 
**देह बनाती टीम देखकर* 
हवा में उड़ता भीम देखकर 
सौ-सौ नीम हक़ीम देखकर 
गिरवी राम-रहीम देखकर 
गाँव गया था 
गाँव से भागा ।
जला हुआ खलिहान देखकर
गाँव गया था
गाँव से भागा ।
जला हुआ खलिहान देखकर
*नेता का दालान देखकर*
*मुस्काता शैतान देखकर
**घिघियाता इंसान देखकर*
*कहीं नहीं ईमान देखकर*
*बोझ हुआ मेहमान देखकर
*गाँव गया था
*गाँव से भागा ।
गाँव गया था
गाँव से भागा ।
*नए धनी का रंग देखकर*
*रंग हुआ बदरंग देखकर
**बातचीत का ढंग देखकर*
कुएँ-कुएँ में भंग देखकर
*झूठी शान उमंग देखकर*
**पुलिस चोर के संग देखकर*
गाँव गया था
गाँव से भागा ।
गाँव गया था
गाँव से भागा ।
टाट देखकर भात देखकर
वही ढाक के पात देखकर
पोखर में नवजात देखकर
पड़ी पेट पर लात देखकर
*मैं अपनी औकात देखकर*
*गाँव गया था
*गाँव से भागा ।
*गाँव गया था
*गाँव से भागा ।
*नए नए हथियार देखकर
*लहू-लहू त्योहार देखकर
**झूठ की जै-जैकार देखकर*
*सच पर पड़ती मार देखकर*
*गाँव गया था
*गाँव से भागा ।
**मुठ्ठी में कानून देखकर*
गाँव गया था
गाँव से भागा ।
मुठ्ठी में कानून देखकर
*किचकिच दोनों जून देखकर*
*उज़बक अफ़लातून देखकर
*गाँजा, गुटका, सुर्ती का जुनून देख कर
*गाँव गया था
*गाँव से भागा 
 (साभार फेसबुक परिवार)✍️
 **( अपनी जन्मभूमि शेरवा को समर्पित जिसका आंगन कभी छोटा नही होता जहा मेरा बचपन नही बीता लेकिन वहा से मिला संस्कार कोहिनूर से कम नहीं)*

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