गांव में पंचायत चुनाव आया था


लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व पंचायत चुनाव जब भी गांव के तरफ बढ़ता है तो गांव के कुछ घरों में मतभेद पैदा करके आता है तो यह कविता गांव पर है जहां पर पंचायत चुनाव को लेकर भाई और भाई में मतभेद हो जाता है कई रिश्ते टूट जाते हैं और फायदा सिर्फ एक परिवार को होता है जिससे वह अपनी जरूरतें पूरी करता है जनता की नहीं यदि जनता की जरूरतें पूरी करता है तो उसमें भी अपने हित के बारे में सोचता है मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सभी प्रत्याशी एक जैसे होते हैं क्योंकि सब की विचारधारा अलग अलग होती है कोई अपनों के लिए लड़ता है कोई अपने लिए लड़ता है

भाई को भाई से लड़ाने का त्योहार आया था
भाई को भाई से लड़ाने का त्योहार आया था
हा गांवो में पंचायत चुनाव आया था
अपने रिश्तों को संभाल कर रखना ऐ मेरे दोस्तो 
पंचायत का ए त्योहार आया था
रोशन कर जायेगा ए किसी के घर को 
 पर तुम्हारे आंगन में दिवाल डालकर 
अपने रिश्तों को संभाल कर रखना ऐ मेरे दोस्तो 
पंचायत का ए त्योहार आया था
वो जाए किसी भी रास्ते तुम उसको समझा लेना
गलतियां कर दे कुछ भी उसको गले से लगा लेना 
बड़े हो यदि तुम तो उसे डाटकर समझा देना 
छोटे हो यदि तुम तो उसे प्यार से समझा देना 
अपने रिश्तों को संभाल कर रखना ऐ मेरे दोस्तो 
पंचायत का ए त्योहार आया था
भाई को भाई से लड़ाने का त्योहार आया था
हा गांवो में पंचायत चुनाव आया था

दोस्तों पंचायत चुनाव तो खत्म हो गया आप अब अपने रिश्तो को संभालिए आप के दुख की घड़ी में आप के आप का भाई और पूरा परिवार खड़ा रहेगा कोई प्रत्याशी या व्यक्ति नहीं  लोकतंत्र यह त्यौहार आपको अपने विचारधारा से अपना प्रतिनिधि चुनना होता है अपने परिवार में या अपने परिवार के लोगों से दूरी बनाना नहीं अपने रिश्तो को संभाल के रखी कहते हैं ना
" जब  आप के घर में आग लगेग तो उसे बुझाने आपके पड़ोसी ही आएंगे "

" अगर आप के अंगूठे में चोट लगेगी तो दर्द आप के परिवार को होगा "

और इस महामारी के वक्त अपनी और अपने परिवार का ख्याल रखिए


© कुमार विपीन मौर्य

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