!! पर्वतारोही बछेन्द्री पाल !!

!! पर्वतारोही बछेन्द्री पाल !!
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माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली प्रथम भारतीय महिला बछेंद्री पाल का जन्म आज ही के दिन 24 मई 1954 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र के छोटे से गांव नौकुरी में हुआ था। इनके गांव में लड़कियों के पढ़ने लिखने और पर्वतारोहण जैसे कठिन काम करने को अच्छी नज़रों से नहीं देखा जाता था, लेकिन आज अपनी उपलब्धियों की बदौलत बछेंद्री अपने गांव की ही नहीं बल्कि आसपास के इलाके तक की दुलारी बेटी बनी हुई हैं। जब उनकी उपलब्धियां बढ़ती गईं तो उनकी एमए और बीएड डिग्री का मज़ाक उड़ाने वाले गांव वाले उन्हें असली हीरो मानने लगे।

एवरेस्ट फतह के 37 साल (23 मई 2021) पूरे होने के मौके को सेलिब्रेट करते हुए बछेंद्री बताती हैं, "उनकी आंखों में मेरे प्रति सम्मान है. ज़िंदगी मुश्किल में बिताई, बचपन में घास काटी, लकड़ी काटी, जंगल गई. इसलिए मजबूत थी. पर्वतारोहण में अपने आप दिलचस्पी हो गई थी. मजबूत इच्छाशक्ति वाली महिला थी मैं." "महिलाओं की शिक्षा की चिंता किसी को नहीं है. मेरे माता-पिता भी मेरे पढ़ने की चाहत से खुश नहीं थे. मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा लेकिन मैं कामयाब होने के लिए प्रतिबद्ध बनी रही।

बछेंद्री पाल माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सन 1984 में इन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया था। वे एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की पाँचवीं महिला पर्वतारोही हैं। वर्तमान में वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं, जहां वह चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं। बछेंद्री के लिए पर्वतारोहण का पहला मौक़ा 12 साल की उम्र में आया, जब उन्होंने अपने स्कूल की सहपाठियों के साथ 400 मीटर की चढ़ाई की। 1984 में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। 

इस अभियान में जो टीम बनी, उस में बछेंद्री समेत 7 महिलाओं और 11 पुरुषों को शामिल किया गया था। इस टीम के द्वारा 23 मई 1984 को अपराह्न 1 बजकर सात मिनट पर 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर 'सागरमाथा (एवरेस्ट)' पर भारत का झंडा लहराया गया। इस के साथ एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक क़दम रखने वाले वे दुनिया की 5वीं महिला बनीं।भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद उन्होंने इस शिखर पर महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफल नेतृत्व किया।

बछेन्द्री पाल को मिले सम्मान/पुरस्कार

भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन से पर्वतारोहण में उत्कृष्टता के लिए स्वर्ण पदक (1984)
पद्मश्री (1984) से सम्मानित।
उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा स्वर्ण पदक (1985)।
अर्जुन पुरस्कार (1986) भारत सरकार द्वारा।
कोलकाता लेडीज स्टडी ग्रुप अवार्ड (1986)।
गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (1990) में सूचीबद्ध।
नेशनल एडवेंचर अवार्ड भारत सरकार के द्वारा (1994)।
उत्तर प्रदेश सरकार का यश भारती सम्मान (1995)।
हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से पी एचडी की मानद उपाधि (1997)।
संस्कृति मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार की पहला वीरांगना लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय सम्मान (2013-14)

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