राह के इक मोड़ पर रहता_ रहता वो शख्स है
राह के इक मोड़ पर रहता_ रहता वो शख्स है,
अश्कों में यूं जैसे बहता _बहता वो शख़्स है!
जब चाहूं गले से मिल लूं उससे मै तपाक से,
ऐसे मुझसे मुझको सहता_ सहता वो शख़्स है!
बेपर्दा बेहिजाब सी खो जाऊ जो उसमे मै,
मै तुम न होकर हम रहता_ रहता वो शख़्स है!
दुनिया की हर निगाह से हो गई हूं बेखबर सी,
अपनी दुनिया मुझे कहता_कहता वो शख़्स है!
दोनों जहां उसकी मोहब्बत में कुर्बान करू मै,
मेरे गजलों के जहां में बहता_बहता वो शख़्स है!
दो जिस्म रूह हयात हमें बोलना भी फिजूल है,
इक जिस्म रूह हयात कहता _कहता वो शख़्स है!
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