मैं मंदिर कहूं तो मेरा घर समझ लेना...
नमस्कार दोस्तों,
कैसे है आप उम्मीद है आप सकुशल ही होंगे,
प्यार की भाषा हिन्दी जिसके द्वारा कविता पंक्तियां और दिल के हर हाल को बताने वाली शायरी निकल के आई, हिंदी साहित्य में शायरी कविता और वह सभी अन्य माध्यम जो आपके चेहरे पर मुस्कान लाती है यह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने दिल की बात बहोत आसानी से कह सकते हैं। और सबसे बड़ी बात ये है की हिंदी की दुनिया ने अपनी एक अलग पहचान बना रखा है. उम्मीद है मेरे द्वारा लिखी गई हर एक कविता शायरी और पंक्तियां आपको पसंद आती होंगी और आप इसकी जम के प्रशंसा करते होंगे।
मैं मंदिर कहूं तो मेरा घर समझ लेना मैं संघर्ष का हूं तुम पिता समझ लेना मैं मोहब्बत कहूं तुम बहन समझ लेना मैं क्या कहूं तुम भाई समझ लेना मैं जन्नत कहूं तो तुम कुछ सोचे कुछ बेचारे बिना मां समझ लेना
© कुमार विपिन मौर्य
(मां को समर्पित जो घर को स्वर्ग बना कर रखती है)
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