बहन तुमसे दूर होकर राखी मनाना पड़ता है।
मेरी बातों को मेरी यादों को दिल से ना कभी लगाना।
तुम बहन हो मेरी हर गलती पर मुझे माफ कर जाना तुम।
जिंदगी ने अपनी कसौटी पर इस तरह जकड़ के रखा है।
बहन तुमसे दूर होकर राखी मनाना पड़ता है।
अरे आप का बहुत बहुत स्वागत है मरदे, सुनिए न महराज, अब आ ही गए हैं तब एक दूठे कहानियां पढ़ ही लीजिए अउर अ फोलो वाला ललका बटनवा टिप दीजिए न थोडा। अरे ऊ का है न ई जो आप के चेहरा के उदाशी हैं ना मरदे ऊ हमसे देखा नही जाता ईहे खातिर हम लेके आए हैं न ई अपना बलगवा ताकि तू मरदे बिंदास होके मुस्कुरा ज़वन भयल ह ओके छोड़ा खा पिया डाट के मुस्कुरा चाप के। कुमार विपिन मौर्य
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