एक थे विपिन रावत जिन्होंने देश के अहम पदो पर भूमिका निभाई....


बिपिन रावत को कुछ समय पहले तक लोग थलसेना के 27वें प्रमुख के रूप मे देश जानता था पर अब वे इस पद से रिटायर्ड हो चुके है. उन्हें इससे भी बड़ा पद संभालने के लिए मिला है और भारतीय इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है. बिपिन रावत को देश का पहला CDS अधिकारी यानि चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ बनाया गया है. यह पद आज से पहले किसी को नहीं मिला है. CDS का काम है थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनो के बिच तालमेल बैठाना. सीधे शब्दों में कहूँ तो यह रक्षा मंत्री के प्रमुख सलाहकारों में शामिल है और वे तींनो सेनाओं को निर्देश देंगे, हालाँकि इनका काम किसी भी सैन्य एक्टिविटी में दखल देना नहीं है. यह सिर्फ तीनो सेनाओं के बिच तालमेल बैठाने का काम करेंगे. हालही में बिपिन रावत जी तमिलनाडु के कुन्नूर अपनी पत्नी के साथ हेलीकाप्टर में जा रहे थे, लेकिन उनका हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसके चलते उनकी एवं उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई. कहा जा रहा है ये किसी आतंकी दल की साजिश हो सकती है. इसकी पुष्टि अभी तक नहीं की गई है.
बिपिन रावत कौन थे 

बिपिन रावत जी भारतीय थलसेना के चीफ रह चुके हैं हालही में कुछ समय पहले उन्हें तीनों सेना का प्रमुख यानि कि चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ बनाया गया था, जिनका काम होता है थलसेना, जलसेना एवं वायुसेना तीनों के बीज तालमेल बैठना.

बिपिन रावत का जन्म, शिक्षा एवं शुरूआती जीवन 

बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958  को देहरादून में हुआ. बिपिन रावत के पिताजी एल एस रावत भी फ़ौज में थे और उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत के नाम से पहचाना जाता था. इनका बचपन फौजियों के बीच ही बीता और इनकी शुरूआती पढाई सेंट एडवर्ड स्कुल शिमला में हुई. उसके बाद उन्होंने इंडियन मिलट्री एकेडमी में एडमिशन लिया और देहरादून चले आये. यहाँ उनकी परफोर्मेंस को देखते हुए उन्हें पहला सम्मान पत्र मिला जो SWORD OF HONOUR से सम्मानित किया गया था. उसके बाद उन्होंने अमेरिका में पढाई करने का मन बनाया और वो अमेरिका चले गये यहाँ उन्होंने सर्विस स्टाफ कॉलेज में ग्रेजुएट किया. साथ में उन्होंने हाई कमांड कोर्स भी किया.
बिपिन रावत अमेरिका से लौट आये और उसके बाद उन्होंने आर्मी में शामिल होने का मन बनाया. उन्हें अपने प्रयासों में सफलता 16 दिसंबर 1978 में मिली. उन्हें गोरखा 11 राइफल्स की 5वीं बटालियन में शामिल किया गया. यहीं से उनका सैन्य सफर शुरू हुआ. यहाँ बिपिन रावत जी को सेना के अनेक नियमों को सिखने का मौका मिला और उन्हें कैसे एक टीम वर्क करना चाहिए यह भी उनके समझ में आया. बिपिन रावत ने बताया था एक इंटरव्यू में की उनकी जिंदगी में उन्होंने गोरखा में रहते हुए जो सिखा वो कहीं और सिखने को नहीं मिला है. यहाँ उन्होंने आर्मी नीतियों को समझा और नीतियों के निर्माण में कार्य किया. गोरखा में रहते हुए उन्होंने आर्मी की अनेक जैसे Crops , GOC-C , SOUTHERN  COMMAND, IMA DEHRADUN , MILLTERY OPREATIONS DIRECTORET में LOGISTICS STAFF OFFICER के पद पर भी काम किया.

बिपिन रावत अंतराष्ट्रीय स्तर सैन्य सेवाएँ

अंतराष्ट्रीय स्तर पर 7000 लोगों की जान बचाई
देशों में सेवा दी नेपाल, भूटान, कजाकिस्तान इत्यादि
 बिपिन रावत ने भारत में ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी सेवायें दी है. वे कांगो के UN Mission के भागीदार थे और उसी वक्त उन्हें अंतराष्ट्रीय स्तर पर सेवायें देने का मौका मिला था. यहाँ उन्होंने 7000 लोगों की जान बचाई थी.
 
बिपिन रावत पुरस्कार 

Anti Vishisht Seva Medal विशिस्त सेना मैडल
Yudh seva medal युद्ध सेना मैडल
बिपिन रावत जी को सेना में रहते हुए सेना में अनेक तरह के पुरस्कार भी मिले हैं. उन्हें युद्ध नीति को सीखते हुए अपने कौशल का सही इस्तेमाल करते हुए आर्मी में अनेक मैडल प्राप्त किये है. उन सभी मैडल का विवरण हम निचे परिचय बिंदु में देने जा रहे हैं. इनके 37 साल के आर्मी करियर में इन्हें अनेक अवार्ड मिले है और उन सभी की लिस्ट बनाना संभव नहीं है.

बिपिन रावत सेना आर्मी चीफ

सेना प्रमुख पद संभाला 31 दिसंबर 2016
सेना प्रमुख पद से इस्तीफा 31 दिसंबर 2019
सेना प्रमुख पद पर सेवायें 3 वर्ष
बिपिन रावत जी को सेना का प्रमुख बनाया गया. उन्हें 31 दिसंबर 2016 को दलबीर सिंह सुहाग का उत्तराधिकारी बनाया गया. यह पद बिपिन रावत के जीवन का अहम पद है. इस पद पर आने के बाद उन्हें पुरे भारत में एक खास पहचान मिली और वे भारतीय सेना के 27वें प्रमुख बने. उन्होंने इस पद की कमान 1 जनवरी 2017 को संभाली थी.

बिपिन रावत देश के पहले CDS अधिकारी 

सेना प्रमुख से इस्तीफा 31 दिसंबर 2019
पहले CDS अधिकारी 1 जनवरी 2020 को कार्य संभाला
बिपिन रावत ने सेना के प्रमुख पद से 31 दिसंबर 2019 को भारतीय सेना के प्रमुख पद से इस्तीफा दिया और उन्होंने देश के पहले CDS अधिकारी की कमान संभाली. यह पहले वो इंसान है जिसे भारतीय CDS अधिकारी बनाया गया है. CDS यानि चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ अधिकारी होता है जो थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनो के बिच तालमेल का कार्य करता है और रक्षा मंत्री और गृहमंत्री का मुख्य सलाहकार होता है.

बिपिन रावत की मृत्यु एवं कारण 

आज यानि 8 दिसंबर को जब बिपिन रावत जी अपनी पत्नी के साथ हेलिकॉप्टर में थे, तो तमिलनाडु के कुन्नूर के पास उनका हेलिकॉप्टर अचानक से क्रेश हो गया. जिसके चलते उनकी एवं उनकी पत्नी दोनों की मृत्यु हो गई. इस हेलिकॉप्टर में बिपिन रावत और उनकी पत्नी सहित 14 लोग मौजूद थे, जिनमें से 13 लोगों की मौत हो चुकी है और 1 ग्रुप कैप्टेन वरुण सिंह गभीर रूप से घायल हुआ है, जिसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है.
बिपिन रावत जी की हालही में एक हेलिकॉप्टर हादसे में मृत्यु हो गई है. जिस पर रक्षा मंत्री एवं प्रधानमंत्री जी ने दुःख प्रकट किया है. सूत्रों की मानें तो इसके पीछे आतंकी दलों की एक बहुत बड़ी साजिश हो सकती है. लेकिन इस बात की अब तक कोई भी पुष्टि नहीं हुई है. किन्तु जांच अभी जारी है. इस खबर के बाद पूरे देश में लोग दुःख प्रकट कर रहे हैं.

बिपिन रावत का लेखन के प्रति प्यार 

बिपिन रावत के शौंक फुटबॉल खेलना एंव लेखन इत्यादि
 बिपिन रावत जी को एक अच्छा लेखक भी कहा जाता है. उनके अनेक लेख पत्रिकाओं में पब्लिश होते है. वह भारतीय राजनीति पर अनेक तरह के कटाक्ष लिखते हैं. अपने लेखन की मदद से बिपिन रावत अपनी बात को लोगों तक पहुँचाने का कार्य करते हैं. आज उनके लेख पूरी दुनिया में पढ़े जाते हैं और बहुत सी ऐसी बातें लिखते हैं, जो भारतीय समाज में अहम भूमिका निभाती है.
 
बिपिन रावत के सुविचार 

बिपिन रावत हमेशा देश के अहम मुद्दों एंव सुरक्षा को लेकर लिखते रहते है. उनकी अनेक ऐसी बातें जो हमें उर्जावान बनाने में काम आती है.

पद कोई भी हो, उसे सही तरीके से निभाने के लिए टीम वर्क बहुत जरूरी है.

उन देशभक्तों की बराबरी हम नहीं कर सकते जो सियाचिन की ठंड में देश की सेवा करते हैं.

देश की सुरक्षा के लिए हम अकेले कुछ नहीं करते, हमारा हर एक सैनिक इसमें भागीदार होता है. इतना ही नहीं देश का हर एक नागरिक देश के लिए कुछ ना कुछ तो जरुर करता है.

बिपिन रावत ने अपनी जिंदगी के अहम 37 वर्ष आर्मी के नाम किये है. अब उनके उपर और भी अनेक जिम्मेदारियां है और अब वह देश के सुरक्षा मंत्री के मुख्य सलाहकारों में से एक हैं. बिपिन रावत जी हमेशा कहते हैं की उन्होंने अकेले कुछ नहीं किया है वह जो भी उनकी टीम की वजह से है. उन्होंने गोरखा बटालियन से शुरुआत की थी उसके बाद उन्होंने आर्मी में अनेक पदों पर कार्यभार संभाला. उसके बाद वे आर्मी चीफ बने, उसके बाद वे भारत के पहले CDS अधिकारी भी नियुक्त हुए हैं.

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