हम 21 वीं सदी से यूवा पीढी है......
21वीं सदी के हम युवा पीढ़ी है हमारी आने वाली अगली पीढ़ी यह सुनहरा पहाड़ नहीं देख पाएगा जिस तरह से हम पर्यावरण के साथ छेड़खानी कर रहे हैं उसी तरह से आने वाले समय में पर्यावरण भी हमारे साथ छेड़खानी करेगा तब तक हम चंद्रमा पर रहने के लिए घर जरूर बना लिया होंगे उससे पहले ऑक्सीजन एवं प्राकृतिक दृश्य को देखने के लिए मोहताज हो गए होंगे।
मेरी जन्मभूमि इतना खूबसूरत इसलिए है क्योंकि यहां प्रकृति का दिया हुआ आशीर्वाद पहाड़ और उसकी गोद में मुस्कुराता हुआ बांध है यह पहाड़ और बाद मेरी जन्मभूमि का स्वभाव आते हुए आगे बढ़ रही है हमारी आने वाली पीढ़ी शायद इन पहाड़ों की अहमियत न समझ पाए बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर इन पहाड़ों को नष्ट कर दे लेकिन जब उसे एहसास होगा कि हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं तब वह बैठ के अपनी पीढ़ियों के बारे में सोचने के लिए विवश हो जाएगा और अपने पैसों के सिखाए रास्ते पर चलने की कोशिश करेगा तब तक दौर बदल गया होगा यह पहाड़ खत्म हो गए होंगे और उस पहाड़ के बीच में झर झर की आवाज करता हुआ बांध समतल जमीन बन गया होगा 21वी सदी का युवा बदल रहा है संसाधने बदल रहे हैं लेकिन 21वीं सदी का युवा अपनी जन्मभूमि गांव की खूबसूरती के लिए कुछ नहीं कर रहा है क्योंकि गांव की राजनीति भी चरम सीमा पर हो गई है भतीजे को आगे बढ़ता देख चाचा आग बबूला हो जा रहा है और चाचा को आगे बढ़ते देख दादा आज भगोले हो जा रहे हैं।
अभी हमें यह समझ में नहीं आएगा कि हम क्या कर रहे हैं क्योंकि हम युवा पीढ़ी हैं लोगों को बदल रहे हैं वेदबुक को फेसबुक पर चला दिए हैं और फेसबुक को वेदबुक तक ले गए हैं इस ग्राम सियासत में गांव के तरफ अपना रुख मोड़ कर गांव के उन युवाओं को प्रभावित करने की पूरी कोशिश कर रही है जो कभी महात्माओं के विचार धाराओं पर चलते थे हर जाति वर्ग समुदाय के लोगों को गले लगाकर भाई कहकर पुकारते थे आज वह दौर बीत रहा है जातिवाद की राजनीति गांव तक चली आई है सब कुछ बदल चुका है बस बदले नहीं तो वह गांव के सम्मान में खड़े बड़े बड़े पहाड़ और उनकी गोद में बांध, गांव के सम्मान में खड़ा यह पहाड़ और बांध खुद ने यह सोच रहा होगा कि हमने किन युवाओं को बना दिया है जो हमारे विकास एवं समृद्धि के लिए कुछ नहीं सोच रहे हैं वह सोच रहे हैं गांव से दूर शहर जाकर किस तरह बसा जाए, वह सोच रहे हैं गांव आने पर उनका दिन कैसे बीतेगा, वह सोच रहे हैं गांव जाकर होली दीपावली क्या मनाए, शहर की खूबसूरती कयामत आंखों की तरह है।
गांव सदा आबाद रहे तू।🙏
✍️✍️ ~ @kumarvipinmaury
Photo credit:- @Naveenjiprakash
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