आने वाली पीढ़ी यह सुनहरा दृश्य नहीं देख पाएगी।
मेरे पीछे जो भी कुछ दिख रहा है वह पर्यावरण की देन है हिमालय की तरह खड़ा पहाड़ और उस पहाड़ के गोद में सौंदर्य दिखाता हुआ बांध हमारी जन्मभूमि की खूबसूरती दिखा रहा है इसी प्राकृतिक सौंदर्य के बीच में बसा हमारा गांव अद्भुत और अकल्पनीय हम बड़ा खुद नसीब हैं किस्मत वाले हैं कि हम उस गांव में जिनमें जहां प्रकृति ने अपना आंचल फैला कर उसे सुनहरा बनाया और हमारे पूर्वजों ने उसकी खूबसूरती को कायम रखें हम 21वीं सदी के नई पीढ़ी हैं और फेसबुक से लेकर वेद बुक तक आपस में ही बैठे हुए हैं कभी भी अपने गांव की खूबसूरती एवं गांव में रह रहे अपनों के उत्तम भविष्य के लिए नहीं सोचते अगर कुछ होता है तो उसे 4 बाई 8 के कमरे में बैठकर फेसबुक पर पोस्ट करते हैं और लिखते हैं "निशब्द हूं यहां कि सिस्टम खराब है"
लेकिन हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि हम अपने खूबसूरत से जन्मभूमि को और खूबसूरत बना दें अपने घर के आंगन में नए नए किस्म के पौधे लगा देने से गांव को और गांव की खूबसूरती को नहीं बचाया जा सकता आज भी हमें आम, कटहल, जामुन और पीपल के पौधों को लगाकर के गांव की खूबसूरती बढ़ाने होती आम,कटहल,जामुन और पीपल यह अगर गांव से खत्म हो जाएंगे आने वाली पीढ़ी आम कटहल और जामुन का मजा नहीं ले पाएगा पीपल के नीचे बैठकर अपना बचपन नही बिता पाएगा मुनासिब है वह दौर नया दौर होगा
पिता के पास बैठने के लिए बेटों को समय नहीं होगा और दादा के पास बैठने के लिए पोते को समय नहीं होगा बदलाव जरूरी है लेकिन इतना बदलाव जरूरी नहीं जो गांव की खूबसूरती को कम कर दे गांव जहां जिंदगी की सारी थकान दूर हो जाती है और एक अपनेपन का स्वाद चारों तरफ दिखाई पड़ता है!
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