पूर्ण बहुमत के सरकार से एक सीट तक, बीएसपी सुप्रीमो मायावती का प्रथम कार्यकाल और यह विधानसभा चुनाव..........

यूपी की एक ऐसी मुख्यमंत्री जिसके कामों का विपक्ष भी सराहना करता था और आज उसकी पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक सीट पर अटक गई कहानी इस प्रकार है.......................

मायावती जी पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी  आप अपने घरों में जाकर पूछे लीजिएगा
(फोटो:- प्रथम बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेती बीएसपी सुप्रीमो मायावती जी)

उत्तर प्रदेश के हर एक आदमी ने उनकी तारीफ की चाहे वह ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र हो या मुसलमान हो किसी भी वर्ग का व्यक्ति हो सब ने मायावती जी का तारीफ किया के कानून व्यवस्था की सराहना की उनके कामों की सराहना की थी उन्होंने पूरा प्रशासन हिला दिया था सुबह 6:30 बजे हॉस्पिटल में पहुंचकर हॉस्पिटल प्रशासन को हिला देती थी स्कूलों में 10:00 बजे पहुंचकर विद्यालय प्रशासन को हिला देती थी
(फोटो:- प्रथम कार्यकाल के दौरान थाने की निरीक्षण करती बीएसपी सुप्रीमो मायावती जी)

थाना में 9:00 बजे रात को पहुंचकर थाना हिला देती थी यह सब बहन कुमारी मायावती जी अपने पहले कार्यकाल में तेजी से कर रही थी अपने पहले कार्यकाल में बहन कुमारी मायावती जी ने जिले के प्रशासन के ऊपर इतनी दबाव बना रखी थी उनके जिले में कोई भी गलत काम होने पर जिला का कप्तान रातों रात बदल जाता था शिक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों की नौकरी छीन ली जाती थी और लोगों के साथ अभद्र व्यवहार करने वालों को 24 घंटे के अंदर जेल होती थी
(फोटो:- वर्तमान राज्यसभा चुनाव के दौरा कार्यालय जाती बीएसपी सुप्रीमो )

मायावती जी के पहले कार्यकाल में कानून व्यवस्था अच्छी तरह से संचालित हो रही थी वह एक दौर था जब लोग शिक्षा की बात करते थे चिकित्सा के बात करते थे रोजगार की बात करते थे जाति धर्म मजहब नाम की कोई भी चीज उस समय नहीं थी और ना ही लोग जाति धर्म मजहब को लेकर इतना ज्यादा सोचते थे।
लोग कहते हैं कि मैं भतीजी जिस जगह जाती थी वहां का प्रशासन पसीना फेंकने लगता था
(फोटो:- अस्पताल निरीक्षण के बाद बाहर आती बीएसपी सुप्रीमो)

प्रशासन को यह तक नहीं पता होता था कि मायावती जी इस जिले में कब आएंगी और किस चीज की फाइलें मांगेगी किस विभाग का निरीक्षण करेंगे और किसे घर का रास्ता दिखा देंगी मायावती जी ही थे जिन्होंने लोगों का अधिकार लोगों तक पहुंचाने की पूरी कोशिश की थी और उसे अधिकांश क्षेत्रों में पूरा भी किया था 
(फोटो:- बीएसपी सुप्रीमो मायावती जी की रैली)

आज भले ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की एक सीट निकली हो लेकिन एक दौर था जब हम कुमारी मायावती के नाम से ही लोग बिना प्रचार के चुनाव जीत जाते थे एक दौर था जब बहन कुमारी मायावती जी के नाम से जिले की प्रशासन हिलती थी कानून व्यवस्था अच्छी तरह से संचालित की जाती थी एक दौर था जब लोगों के समानता की बात की जाती थी उन्हें शिक्षा से जोड़ने की पूरी कोशिश की जाती थी क्योंकि उस दौर में मायावती जी प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करती थी।
(फोटो:- यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान बीएसपी की गिरती सीटें)

वक्त वक्त की बात है बीएसपी को कमजोर करने में कार्यकर्ताओं ने कोई भूमिका नहीं निभाई बीएसपी को कमजोर करने में बीएसपी के नेताओं ने ही अपनी अहम भूमिका निभाई है उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी का कोई भी नेता अपने विधानसभा क्षेत्र में दिखाई नहीं देता था जनता ने डीएसपी को ताक पर रखकर दूसरे पार्टियों को वोट दिया
(फोटो:- यूपी विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों को मिली सीटे)

जब आप जनता के सुख और दुख में जनता के साथ खड़े नहीं होंगे तो जनता आप पर कैसे भरोसा करेंगी यह मुद्दा बीएसपी सुप्रीमो मायावती जी को समझना चाहिए 2024 में लोकसभा चुनाव है और एक वर्ग मायावती जी के भरोसे ही बैठे हैं चाहे वह राजनीति में सक्रिय हो या ना हो लेकिन अपने वोट किसी को भी सियासत में बैठा कर चलाने की जिम्मेदारी सौंप देता है बहुजन समाज पार्टी कशिश नेतृत्व को आज भी समझने की जरूरत है लोगों की बुनियादी सुविधा लोगों की मुद्दा।
(फोटो:- बीएसपी के को कॉर्डिनेटर आनंद कुमार)

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जितने भी नेता अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों से जीत कर गए हैं कहीं ना कहीं उन्हें नेता बनाने में बहुजन समाज पार्टी ने अहम भूमिका निभाई है युवाओं को सबसे ज्यादा टिकट देने वाली बहुजन समाज पार्टी है बहन जी पहली बार मुख्यमंत्री रहे हो या चौथी बार मुख्यमंत्री हो हर बार लगातार उन्होंने युवाओं को सबसे ज्यादा कर दिया है देश के युवा को सोचना चाहिए बहुजन समाज पार्टी क्या है और बहुजन समाज पार्टी किसके विचारधाराओं पर चलती है भले ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हार गई हो
(फोटो: यूपी विधानसभा चुनाव का रुझान का एक झलक)

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी के लिए अहम था लेकिन सीटें निकली कम पार्टी के आलाकमान को पार्टी के कार्यकर्ताओं नेतृत्व कर्ताओं एवं अन्य पदाधिकारियों को कोसने से अच्छा है पार्टी को तैयार किया जाए जान नेताओं को शामिल किया जाए खुद की पार्टी बनाकर चुनाव लड़ रही हो चाहे वह संजय निषाद हो ओमप्रकाश राजभर हो या फिर आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद हो इन सबको साथ लेकर चलने की बारी है।
(फोटो:- ऊपर से क्रमशः चन्द्रशेखर आजाद, ओम प्रकाश राजभर और संजय निषाद)
कुछ दिनों पहले भीम आर्मी चीफ के एक पदाधिकारी से मेरी बात हुई उन्होंने मुझसे दिल खोल कर बात की मैंने अपने सवाल पूछे उन्होंने मेरे हर एक सवाल का जवाब दिया मैंने उनसे चंद्रशेखर भाई से संबंधित सवाल पूछे तो उनके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी
(फोटो:- भीम आर्मी और आज़द समाज पार्टी के सस्थापक चन्द्रशेखर आज़ाद रावण)
और उन्होंने मुझे जवाब दिया "भाई चंद्रशेखर आजाद ने बहन कुमारी मायावती जी से संपर्क साधने के लिए 25 से 30 बार उन्हें पत्र लिखा लेकिन आज तक उसका कोई जवाब नहीं आया चंद्रशेखर कहते हैं "वह मेरी बुआ है और मैं उनका भतीजा हूं वह अपने भतीजे को बुलाएं उनका भतीजा उनके लिए भतीजा जरूर आएगा लोगों को उनका अधिकार देना है और बाबा साहब के विचारों को लोगो तक पहुंचाएगा मान्यवर काशीराम साहब के अधूरे सपने को साकार करेगा।
(फोटो:- यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान बीएसपी सुप्रीमो मुलायम की रैली)
 बहुजन समाज पार्टी को आज आंतरिक मंथन की जरूरत है पार्टी को बूथ स्तर से खड़ा करने की जरूरत है अपने पुराने दाव फिर से चलने की जरूरत है लोगों से संपर्क करने की जरूरत है बहुजन समाज पार्टी की ज्यादातर बातें लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं बहुजन समाज पार्टी एक ही मीडिया अभी बहुत कमजोर है बहुजन समाज पार्टी को पार्टी का मीडिया खड़ा करने की जरूरत है।
नोट:- मैं किसी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मुझे लोगो के बारे में लिखना अच्छा लगता है मैं युवा हूं मेरा काम सही को सही कह के समर्थन और गलत को गलत कह के विरोध करना है।
आभार 🙏
© कुमार विपिन मौर्य
✉️ - kumarvipinmaury@gmail.com
#kumarvipinmaury
 

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