एक सन्यासी से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक का सफर और जनता ने नाम दिया बुलडोजर बाबा, कहानी योगी आदित्यनाथ की।
(फोटो:- अटल बिहारी वाजपेई इकाना स्टेडियम योगी आदित्यानाथ एवम अन्य)
यह तस्वीर अटल बिहारी बाजपेई इकाना स्टेडियम की है 180 डिग्री पर खींचे गए इस तस्वीर में योगी मोदी नाम की एक जोड़ी खड़ी है जोड़ी नाम नहीं अब ब्रांड बन चुकी है जिसके नाम से देश की सियासत आगे बढ़ रही है (फोटो:- यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ)
इस कहानी की यदि एक पहलू को लिखूं तो एक पहलू छूट जाएगा इसलिए मैं इस कहानी के एक पहलू को लिखना चाहता हूं मुझे पता है इस कहानी का एक पहलू छूट रहा है मैं कोशिश करूंगा कि कहानी के दूसरे पहलू को भी लिख सकूं उत्तराखंड में जन्मा एक युवा जो 26 साल की उम्र में लोकसभा पहुंचता है और उत्तर प्रदेश के सियासत में अपना सिक्का दौड़ आता है कहानी इस प्रकार है
(फोटो:- जब पहली बार लोकसभा चुनाव जीते योगी आदित्यनाथ)
योगी आदित्यनाथ जैसे उत्तर प्रदेश की जनता बुलडोजर बाबा के नाम से पुकारने लगी है उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के पंचूर गांव में 5 जून 1972 को हुआ. योगी ने 1989 में ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से 12वीं पास की और 1992 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई पूरी की.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की शानदार जीत के चलते योगी आदित्यनाथ ने दोबारा मुख्यमंत्री की शपथ ली. (फोटो:- 2017 में शपथ ग्रहण करते योगी आदित्यनाथ)
इससे पहले 2017 में वह एक अप्रत्याशित पसंद थे. दूसरी बार यूपी की सत्ता की बागडोर संभालने वाले योगी की छवि हिंदुत्व एक ‘पोस्टर बॉय’ मानी जाती है. इस बार अपनी सरकार प्रदर्शन और केंद्रीय नेतृत्व के समर्थन से एक परफर्मर लीडर के तौर पर उभरे योगी ने लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. योगी ढाई दशक के अपने राजनीतिक सफर में पांच बार सांसद बने और दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली है
गोरखपुर शहर के गोलघर इलाके में गोरखनाथ मंदिर से संचालित इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले कुछ छात्र एक दुकान पर कपड़ा खरीदने के लिए गये और उनका दुकानदार से कुछ विवाद हो गया. मामला बढ़ा तो दुकानदार ने रिवॉल्वर निकाल ली. वहीं घटना के दो दिन बाद दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग लेकर एक युवा योगी के नेतृत्व में छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया और वे एसएसपी आवास की दीवार पर भी चढ़ गए थे. यह योगी आदित्यनाथ थे, जिन्होंने कुछ समय पहले ही 15 फरवरी 1994 को नाथ संप्रदाय के प्रमुख मठ गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली थी. बस यही वो मौका था जिसके बाद गोरखपुर की राजनीति में एक महंत की धमाकेदार एंट्री हुई.
(फोटो:- गोरखपुर मठ से लोगों को संबोधित करते हैं योगी आदित्यनाथ)
अवैद्यनाथ ने 1998 में अपनी जगह योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़वाया, गोरखपुर सीट से योगी 1998 में जिसके बाद चुनाव जीतकर सिर्फ 26 साल की उम्र में योगी लोकसभा में पहुंच गए.तब से लगातार गोरखपुर लोकसभा सीट पर योगी का कब्जा रहा. योगी आदित्यनाथ की पहचान कट्टर हिन्दू छवि वाली है. राजनीति में अपनी पहचान बनाने के बाद उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया. 2007 में गोरखपुर दंगे में योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया, इसमें उनकी गिरफ्तारी भी हुई.
(फोटो:- लखीमपुर खीरी कांड पर योगी आदित्यनाथ)
कहा जाता है की गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बोलने से पहले लोगो को अपना कलेजा निकल के हाथ पर रखना होता है गोरखपुर में लोगो की बात योगी आदित्यनाथ से शुरू होती है और योगी आदित्यनाथ पर ही खत्म हो जाती है यह लोगो का योगी के प्रती समर्पण है योगी आदित्यनाथ कट्टर हिन्दू विचार धारा के माने जाते है
(फोटो:- एक नजर में हिंदू युवा वाहिनी)
योगी आदित्यनाथ ने अपनी निजी सेना हिंदू युवा वाहिनी का निर्माण किया. वर्ष 2017 में यूपी विधानसभा के चुनाव में BJP को प्रचंड बहुमत मिला तो सीएम के लिए कई चेहरे दावेदार थे, लेकिन बाजी योगी के हाथ लगी एक बार फिर से जनता ने योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश की कमान थमा दी है
(फोटो:- जब पहली बार लोकसभा चुनाव जीते योगी आदित्यनाथ)
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी युग की शुरुआत के बाद राज्यों के चुनाव भी बीजेपी मोदी के चेहरे पर लड़ती रही है लेकिन योगी की बढ़ती ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपी का चुनाव मोदी और योगी के साझे चेहरा पर लड़ा गया। जिस चुनाव को अब तक का सबसे कठिन चुनाव माना जा रहा था, उसमें बीजेपी को मिली इतनी बड़ी जीत के बाद योगी आदित्यनाथ का अब बीजेपी के अंदर नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ताकतवर नेता के रूप में स्थापित हो जाने की बात हो रही है। यूपी में बीजेपी को मिली जीत में योगी के योगदान को किसी भी सूरत में कमतर नहीं आंका जा सकता।
(फोटो:- 2017 विधानसभा चुनाव में जब योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री चुना गया)
2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हो रहा था उस वक्त तक योगी आदित्यनाथ की यूपी की पॉलिटिक्स में हद सिर्फ यह थी कि वह अपने एक खास इलाके में किसी और की दखलअंदाजी नहीं चाहते थे। यहां तक कि उनके इलाके में बीजेपी भी अगर उनकी मर्जी के खिलाफ उम्मीदवार उतारती थी तो वह बीजेपी के खिलाफ हो जाया करते थे। कोई बहुत बड़ी राजनीतिक महत्वाकांक्षा उन्होंने कभी नहीं पाली।
(फोटो:- 2017 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट)
2017 में जिस वक्त यूपी के रिजल्ट आने वाले थे, उस वक्त सुषमा स्वराज उन्हें विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनाना चाह रहीं थी। योगी की दिलचस्पी इसमें भी नहीं थी लेकिन सुषमा स्वराज के अनुरोध पर उन्होंने अपना पासपोर्ट भेज दिया। वहीं, रिजल्ट आने के बाद पीएमओ से सुषमा स्वराज को यह सूचना दी गई कि प्रतिनिधिमंडल में शामिल नामों में से एक योगी आदित्यनाथ को अनुमति नहीं दी गई है।
(फोटो:- योगी आदित्यनाथ और पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज)
सुषमा स्वराज के लिए यह झटका जैसा था। उन्होंने प्रधानमंत्री से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो सकी तो उन्होंने योगी आदित्यनाथ को इसकी सूचना दी। योगी ने कहा कि वह तो पहले ही जाने के इच्छुक नहीं थे। अनुमति नहीं मिली तो उन्हें बुरा भी नहीं लगा। योगी आदित्यनाथ इस प्रकरण को भूल जाना चाहते थे लेकिन अगली रात प्रधानमंत्री ने उन्हें फोन कर उनकी लोकेशन पूछी।
(फोटो:- योगी-मोदी की जोड़ी)
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि वह तो गोरखपुर में हैं। प्रधानमंत्री ने अगले दिन सबेरे दिल्ली आकर मुलाकात करने को कहा लेकिन इस बात को किसी और से साझा न करने की भी ताकीद की। अगले दिन जब मुलाकात हुई तो प्रधानमंत्री ने उनसे यूपी भेजने की अपनी इच्छा से उन्हें अवगत कराया।
योगी आदित्यनाथ का जब यूपी के सीएम के लिए नाम घोषित हुआ तो राजनीतिक गलियारों में सभी का चौंकना स्वाभाविक था। माना गया कि बीजेपी ने हिंदुत्व के मुद्दे को धार देने के लिए योगी को चुना है (फोटो:- योगी आदित्यनाथ)
लेकिन पांच सालों के दरमियान उत्तर प्रदेश के अन्दर योगी मोदी का नाम ब्रांड बन गया था जहा लोगो को मोदी की बात करते सुना जाता था वही योगी मोदी का नाम ब्रांड के तरह लिया जाता है योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने से पहले मोदी से दुर्भाग्य पूर्ण मिले थे 1998 से लाकर आज तक गोरखपुर में कोई भी चुनाव योगी आदित्यनाथ के नाम पर लड़ा और जीता जाता है(फोटो:- शांतनु गुप्ता द्वारा लिखी योगी आदित्यनाथ पर किताब "एक योगी जिसन बदला उत्तर प्रदेश")
कहते है की यह मोदी योगी की जोड़ी ही है जो उत्तर प्रदेश में बीजेपी का जलवा कायम रखती है विरोधियों के पसीने छूट जाते है 2017 में खुद के नाम पर चुनाव ना जीतकर योगी आदित्यनाथ को बतौर चेहरा मुख्यमंत्री बनाया गया यह योगी के संघर्षों का परिणाम थायही से योगी मोदी के नाम का सफर शुरू होता है लोगो के अन्दर से योगी मोदी का नाम ब्रांड के रूप में निकलता है 2017 विधानसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ मोहरा बनने के बजाय एक बड़े ब्रैंड बनकर उभरे उन्हे बुलडोजर बाबा के नाम से पुकारने लगा गया
योगी आदित्यनाथ को प्रशासन का कोई अनुभव न होने के बावजूद उनकी छवि एक कड़क प्रशासक के रूप में निखरी। कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर तो बुलडोजर एक प्रतीक बन गया। उन्होंने पांच साल अपनी हिंदूवादी छवि को भी और ज्यादा मजबूत किया अब योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बन के यूपी की कमान संभाल लिया है
(फोटो:- दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते योगी आदित्यनाथ )
(नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है)
© कुमार विपिन मौर्य
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