लोगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते-लड़ते का बुरा हो गया यह मुझे पता ही नहीं चला।

(फोटों:- यह तस्वीर मेरी है जो बड़ी बहन के शादी में दोस्तो ने खींची थी)

लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते- लड़ते हम कब बुरे हो गए हमें पता ही नहीं चला हमने कभी भी जाति,धर्म,मजहब और वेशभूषा की लड़ाई नहीं लड़ी मैने हमें से जाति धर्म मजहब और वेशभूषा से हटके लड़ाई लड़ी इस लड़ाई में मुझे क्या मिला और मैंने क्या खोया इसका जिक्र करना बेकार है बचपन से जो भी कुछ देखते आया था और वर्तमान स्थिति में जो भी कुछ देख रहा हूं जो भी कुछ सीख रहा हूं और जो भी कुछ सीख चुका हूं उन सब को मिलाकर यदि मैं अपना अनुभव साझा करूं तो मैंने हमेंसे लड़ाई शिक्षा की, चिकित्सा की, रोजगार की, महिला सुरक्षा की, विकास की एवं एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए लड़ी मेरे पिता ने सही को सही कहना सिखाया है और गलत को गलत कह कर खुलकर विरोध करना सिखाया है गलत कोई भी करें उसका विरोध करना मुनासिब हैं।

(फोटो:- आगे से क्रमश:, आदित्य सिंह मौर्य, मैं, आलम खान, बड़ी भाई नंदन यादव, अनीश मौर्य, प्रभाकर सिंह पटेल, अहमद और सबसे किनारे खडा भाई आनंद)

अच्छी तरह से मालूम है कि मैं कुछ लोगों को अच्छा नहीं लगता क्योंकि मैं हमेशा बात मोहब्बत की करता हूं देश में अमन और शांति की कहता हूं आपसी भाईचारे की बात करता हूं और यह बात यहीं तक नहीं मैं जब तक जीवित हूं मोहब्बत की बात करूंगा आपसी भाईचारे की बात करूंगा अमन और शांति की बात करूंगा यह जो हमारा सुनहरा सा हिंदुस्तान है यह भाईचारे से मिलकर बना हुआ है जब हम आपसी भाईचारे को बनाकर देश में शांति का संदेश से लाएंगे अपनी देश की खूबसूरती में चार चांद और जोड़ देंगे।
(फोटों:- छोटे भाई अनीश ने खींची है और मै सबका परिचय पहले ही करा चुका हूं)

संघर्ष के इन दिनों में कई मित्र साथ छोड़ दिए और कई मित्रों ने हाथ को इस तरह पकड़ के रखा जैसे हाथ को छुड़ाना नामुमकिन हो मैं उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं आपने मेरा हाथ ममतामई मां के समान पकड़ के रखा था जरूरत पड़ने पर मुझे थप्पड़ लगाकर सही रास्ते पर चलना सिखाया हमेशा लड़ाई सही के लिए लड़ने को सिखाया नहीं पता मेरा भविष्य कैसा होगा लेकिन मुझे अच्छी तरह से पता है मेरा वर्तमान सुनहरा है और मेरा आने वाला वर्तमान भी सुनहरा होगा परिस्थितियां चाहे जो भी कुछ हो उन परिस्थितियों का डटकर सामना किया जाएगा।
(फोटो:- आगे से क्रमश:, आदित्य सिंह मौर्य, मैं, आलम खान, बड़ी भाई नंदन यादव, अनीश मौर्य, प्रभाकर सिंह पटेल, अहमद और सबसे किनारे खडा भाई आनंद)

शिक्षा चिकित्सा रोजगार की लड़ाई पसंद है मजहब की लड़ाई प्रसन्न नहीं है जो लोग मुझसे धर्म की लड़ाई में अपेक्षा रखते हैं मैं उन्हें धर्म की लड़ाई में कोई मदद नहीं कर पाऊंगा मैं हर एक धर्म का सम्मान करता हूं क्योंकि हिंदुस्तान की संस्कृति ने हर एक धर्म का सम्मान करना सिखाया है मेरे लिए हिंदुस्तान की संस्कृति सर्वप्रथम है।
(फोटों:- बाई ओर से:, दीपक भाई, अहमद, प्रभाकर सिंह पटेल, मैं, नंदन यादव, राहुल भाई, आदित्य भाई, आलम भाई, अमन सेठ और छोटा भाई अनीश)

आप लोगों से कहना तो बहुत कुछ चाहता हूं लेकिन कुछ बातें कुछ बातें और एक उम्मीदों का निकलने वाला कीड़ा बार-बार यह कहकर रोक देता है रहने दो अब कल ही कर लेना तुम इस युग के नए सेनानी हो हालात को लिखना है परिस्थितियों को भावना है लोगों में मोहब्बत का पैगाम पहुंचाना है।

(नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है)
© कुमार विपिन मौर्य
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