मां, जिसके के नाम पर आज खूब स्टेटस लगाया गया,मातृ दिवस की असीम शुभकामनाएं...........
मां जिसके नाम पर आज खूब स्टेटस लगाया गया कईयों ने मां को जन्नत बताया तो कईयों ने मां को देवी की मूरत इन सब के पीछे कहीं ना कहीं उस ममतामई मां के आंचल का कमाल है जिस आंचल में पला करके हम बड़े हुए और आज देश को नई दिशा और दशा दे रहे हैं।
मां सिर्फ मां नहीं होती है वह जन्नत होती है जिसके आंचल में तपता हुआ वह सूर्य भी समाया होता है और ठंडक से भरा वह चंद्रमा भी सब मां के आंचल का कमाल है जो बड़े से बड़े लोगों को मां के आगे झुकने के लिए दिवस करता है और ममतामई मां अपने बेटे को कभी भी अपने आंखों से दूर जाने नहीं देती है।
हिंदी साहित्य का कई युग बीत गया आधुनिक युग चल रहा है हिंदी साहित्य का जितने भी कभी आए उन्होंने मां के बारे में कुछ अलग अलग लिखा लेकिन सबने यही लिखा कि ममतामई मां के आंचल को छूना भी हिंदी साहित्य के लिए कठिन है हिंदी साहित्य के लिए ही नहीं बल्कि हर एक तकनीक शिक्षा एवं विभाग के लिए कठिन है।
आज अजीत हर्ष उल्लास के साथ मां की तस्वीरें हम सोशल मीडिया पर पोस्ट करके 4×4 के स्क्रीन पर लिखते हैं "मां जन्नत हो आप" उन लोगों से भी पूछना चाहता हूं क्या अनाथ आश्रम में रह रही मां जन्नत नहीं है किन लोगों की मां है जो अपने पसीने से खींचकर आपको इतना बड़ा करती हैं और दिन रात एक कर के घर बनाते हैं वह आज अनाथालय में पड़ी है।
मां सिर्फ अम्मा नहीं वह युगो युगो से चली आ रही पीढ़ियों को नई दिशा और दशा दिखाने वाली मूरत है जो समय के साथ रहे या ना रहे हमेशा पूजनीय रहेगी मां के बिना घर अधूरा है संसार अधूरा है और यह 21वीं सदी का युवा है मां की तस्वीरें डालेगा लेकिन शादी के बाद अपनी पत्नी का ही सुनेगा।
पैसे कमा लेने से मां के ममता को खरीदा नहीं जा सकता और सबसे बड़ी बात कि मां की ममता की कोई भी कीमत नहीं लगाई जा सकती हम 21वीं सदी के युवा पीढ़ी हैं तेजी से विज्ञान और विकास की तरफ बढ़ रहे हैं
फैशन डिजाइन की तरफ भाग रहे हैं लेकिन इन सबके बीच हम जब थक जाते हैं और थके हार जाते हैं तो उस थकान को दूर करने के लिए और जीत की नई शुरुआत करने के लिए मां के ममता मई आंचल में आकर रुक जाते हैं।
हिंदी साहित्य का कोई भी कभी मां के बारे में ना लिख पाया है और ना ही लिख पाएगा क्योंकि जिस मां से शब्द बनते हैं उस मां को लिख पाना नामुमकिन है।
यह जो जाति धर्म मजहब है ना वह मां के ममतामई आखिर को कभी नहीं छोड़ सकता है मां हर एक रुप में पूजन हो आज हम जिस तरह से आधुनिकता के तरफ भाग रहे हैं और जातिवाद को चरम सीमा पर पहुंच कर एक दशहरे पर टिप्पणी कर रहे हैं धर्म को लेकर धर्मों में ममतामई मां को पूजनीय बताया गया आपको किसी भी धर्म की किताब उठाकर पढ़ लो हर धर्म में ममतामई मां की तुलना किसी से नहीं की गई है
मातृ दिवस की असीम अनंत शुभकामनाएं आप अपने घरों में रहिए या ना रहिए आप देश के किसी भी कोने में रहिए ममतामई मां के आंचल को पकड़कर इस तरह से रखिए जैसे एक दूध पीता हुआ बच्चा अपनी मां से दूर जाने के बाद रोने लगता है।
(नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है)
© कुमार विपिन मौर्य
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