उफ यह गर्मी का मौसम और पहाड़ घूमने की चाहत.....................

उफ यह गर्मी का मौसम और पहाड़ घूमने की चाहत ने पसीना छुड़ा दिया लेकीन एक शुकून हृदय की कोशिकाओं को राहत दे गया वह सुकून था देश की शान में खडे पहाड़ों को देखने का और उन पर चढ़ के उनकी ऊंचाई को मापने का, जब मैं देश के सबसे मजबूत प्रकृति दृश्य को संजोने वाले पहाड़ों को देखने और उन पर घूमने के लिए निकलता हूं तो मेरे मन के अन्दर एक जिज्ञाश जागरूक होने लगती है, मुझसे पहले मेरे पूर्वजों ने इस पहाड़ को इस हालात में देखा होगा, उन्होंने इस पहाड़ को बचाने के लिए क्या संघर्ष किया होगा, यह पौधे पहले की तरह अब भी चट्टानों से लगा है की मेरी पुरानी पीढ़ी ने इसे लगाया है इस पहाड़ पर उगे झाड़ियों और पेड़ो को कोई भी लगाया है इसे बचाने और हरा भरा करने की जिम्मेदारी इस नई पीढ़ी के युवाओं को है  वर्षा ऋतु के दौरान जब मैं इन पहाड़ों को घूम रहा था तब एक अलग ही अहसास मिल रहा था मानो मैं अपने परिवार के बीच आया हू जहा का माहौल मैंने नही कुदरत ने बनाया है अब जब आज इन पहाड़ों को देखा तब हृदय बहुत दुःखी हो रहा है और हृदय से एक आवाज आ रही थीं जैसे कोई अपना साथ छोड़ के जा रहा हों।
पिछले दिनों मैं आदिवासी समाज के बारे में पढ़ रहा था तब उन्हे पढ़ने के बाद पता चला की आदिवासियों ने जो लडाई लड़ी वो देश का कोई भी आंदोलनकारी ने नही लगा देश के आदिवासियों ने जल, जंगल और जमीन को बचाने की लडाई लड़ी थी उनके इस लडाई के आगे प्रकृति को बचाने की अन्य लड़ाइयां कम है।

नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है)
© कुमार विपिन मौर्य
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