किसान का बेटा हूं फसले सूखती देख के उम्मीदों को कैसे पाल सकता हूं......
हम एक किसान के घर में जन्मे हैं और किसान के बेटे हैं खेती बारी खेत खलिहान यह सब हमारे रग रग में भरा है और हम अपने अंदर उम्मीद लिए हुए घरों से खेतों की तरफ चलते हैं भले ही एक किसान का बेटा कितनी भी बड़ी इन यूनिवर्सिटी में पढ़ कर कितना भी बड़ा अधिकारी बन जाए लेकिन वह खेती और बारी को भूल नहीं सकता है क्योंकि यह वही खेती बारी है जहां संघर्ष करके वह बड़े से बड़े यूनिवर्सिटी में पड़ता है और बड़े से बड़ा अधिकारी बनता है।
आज अपने कर्म भूमि शेरवा में अपने पूर्वजों के द्वारा बोले गए नई उम्मीद के बीज धान की फसल को देख रहा हूं यह प्रकृति की मार झेल रही है दो बूंद पानी के लिए तरस रही है और हम उम्मीद लगाए बैठे हैं कि बारिश होगी फसल लगेगी फसल को काटकर बेचेंगे और हमारे बच्चे देश के प्रतिष्ठित और विकसित विद्यालयों में पढ़कर देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर देश को नई दिशा और नई दशा पर ले जाएंगे किसान की आजीविका उसके खेत में लगी फसलें होती है आज किसान की आजीविका फसलों पर प्रकृति की मार झेल रही हैंहमारी आजीविका हमारी फसाद दो बूंद पानी के लिए तरस रही है यह देखकर ह्रदय में एक व्याकुलता विकार उत्पन्न हो जाती है जिस फसल के सहारे गांव का लड़का देश के बड़े से बड़े विद्यालय में पढ़कर देश का बड़ा से बड़ा अधिकारी बनता है आज वही लगने से पहले सूख रही है बात हमारे रोजी रोटी और पढ़ाई की है हमारी रोजी-रोटी और पढ़ाई इसी फसल के सहारे टिकी हुई है और आज यही फसल सुख जा रही है आने वाले समय में जब हमारी पीढ़ी हम से पूछेंगे 21वीं सदी के किसान किस तकनीक का उपयोग करते थे यह बताने में असमर्थ होंगे कि सरकार के बड़े-बड़े वादों के बीच भी अपनी फसल को जीत रखने के लिए प्रकृति से उम्मीद लगाए बैठा हुआ करता था।
देश में सब कुछ बनाया जा सकता है लेकिन कभी भी रोटी मशीनों से नहीं बनाई जा सकती कभी भी सावत मशीनों से नहीं उगाई जा सकती चावल और गेहूं को उगाने के लिए किसान जमीन पर संघर्ष करता है तब जाकर हमारे थाली में चावल और रोटी आता है उसी किसान की हालत दयनीय हो गई है खबरें आती हैं कि फसल ना होने से किसानों ने फांसी लगा ली यह देखकर हमारी आत्माएं जाती है अब हमारी फसलें सूख रही हैं पता नहीं कितने किसान भाई आत्महत्या कर लेंगे अब एक ही उम्मीद है बारिश की बारिश होगी फसलें लगेगी फिर फसलें कटेगी और एक किसान का बेटा बड़े से बड़े यूनिवर्सिटी में एवं ईमानदार अधिकारी बनकर देश को प्रगति एवं समृद्धि के रास्ते पर अग्रसर करेगा।
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(नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है)
© कुमार विपिन मौर्य
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