सावन का महीना, भाईयो का साथ......🥰
यह मटका का खाना खाने का सौभाग्य मुझे जीवन में पहली बार मिला है मटके में बने खाने को खाने के बाद पता चलता है की हमारे पूर्वज इस मिट्टी से जुड़े रहने के लिए क्यू संघर्ष करते थे गांव का ठेठ देहाती जब मटके में बने खाने को खाता है तो उसे अपने जमीन से जुड़े होने का गर्व होता है उसी गर्व के साथ वो गांव को गांव और गांव के जमीन पर खेती करने के लिए संघर्ष करता है गांव में होने वाली फसलें शहर जाकर हजारों लोग को जीवन देती है 21 साल का होने वाला हूं और इन 21 सालों में विभिन्न जिलों का खाना खाया हूं लेकिन आज अपनी जन्मभूमि में बने इस मटके के खाने को खाकर अभिभूत हूं यह मेरा सौभाग्य है कि मैं जिस मिट्टी से जुड़ा हूं जिस पावन और पूजनीय भूमी में जन्म लिया हू उसी मिट्टी में निर्मित मटके के खाने को खाकर देश को नई दशा और दिशा देने के लिए संघर्ष करूंगा।
मुझे गर्व है की मैं गांव से हूं 🥰
#kumarvipinmaury
(नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है)
© कुमार विपिन मौर्य
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