देश के महिलाओं को शिक्षित करने वाली शिक्षा की जननी सावित्री बाई फुले।।
जीवन में हमेशा याद रखना नारी कभी हारती नहीं उसे हराया जाता है,
लोग क्या कहेंगे यह कह कर उन्हें बचपन से डराया जाता है
आज आप जब स्कूल में पहुंचते हैं तो गुड मॉर्निंग सर और गुड मॉर्निंग मैम कहकर संबोधित करते हैं अगर सावित्रीबाई फुले ना होती तो आज हम स्कूलों में सिर्फ गुड मॉर्निंग सर नहीं कहते गुड मॉर्निंग मैम नहीं कर पाते हैं क्योंकि किसी भी शिक्षण संस्थान में कोई भी महिला अध्यापक नहीं होती।
(फोटो:- DR एपीजे अब्दुल कलाम विद्यालत में राष्ट्र माता सावित्री बाई फुले जी के श्री चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करके हुए)
आज हम उस औरत की बात कर रहे हैं जो महाराष्ट्र के पुणे में एक दलित घर में जन्म 9 वर्ष की उम्र में उनकी शादी कर दी जाती है कहते हैं कि जब सावित्रीबाई फुले छोटी थी तो अंग्रेजी की किताब पढ़ रही थी उनके पिता ने उन्हें यह समझाया कि महिलाएं शिक्षा को गिरा नहीं कर सकती हैं कहीं ना कहीं यह बात उनके हृदय में चूकती गई 9 वर्ष की उम्र में जब उनकी शादी ज्योतिबा फुले से होती है तो उन्हें धीरे-धीरे यह एहसास होता है कि उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले पढ़ना चाहती हैं ज्योतिबा फुले के देखरेख में सावित्रीबाई फुले की शिक्षा पूर्ण होती है।
युवा जो ठान लेते हैं उसे पूरे भी करते हैं आप लोगों के बीच में हम सावित्रीबाई फुले की जन्म जयंती मना रहे हैं इसका एक ही उद्देश्य है आपको हम संकल्पित बनाएं बताएं कि जब जातिवाद चरम सीमा पर था तब एक दलित घर की महिलाएं देश की बेटियों को शिक्षित करने के लिए संघर्ष करती है जिसके ऊपर कीचड़ उछाले जाते हैं आरोप लगाए जाते हैं तमाम सामाजिक बंधुओं को तोड़ते हुए महिलाओं के हितों के लिए देशभर में कई स्कूले खोलती हैं आज उनकी जन्म जयंती पर उन्हें नमन करता हूं।
पूरा वीडियो देखने के लिए लिंक पर जाएं,
https://youtu.be/EHUZowmdd5U
© कुमार विपिन मौर्य
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