कुछ सफर ऐसे होते है...…....😊


कुछ सफर ऐसे होते है जिसमे साथ चलने वाले लोग तो साथ होते है लेकिन अपना पन कही न कही महसूस नही हो पता है एक सफर का यात्री मैं भी हूं मेरा यह सफ़र खुद के लिए है खुद को बनाने के लिए और खुद को एक मंजिल तक पहुचाने के लिए है मै अपने सफर में अकेला हूं मेरे इस सफर का साथी मेरे किताब है मुझे भी सफर में किसी की आवश्यकता होती है उस समय मेरी आवश्यकता को मेरी कितने पूरी करती है कभी कभी इस सफ़र में मै हताश हो जाता हूं उस समय मेरी कितने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है और मै सफर को फिर से शुरू करता हूं मंजीत तक पहुंचने के लिए, कुछ पाने के लिए......................🙂
नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है)
© कुमार विपिन मौर्य

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