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मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

!! पर्वतारोही बछेन्द्री पाल !!

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!! पर्वतारोही बछेन्द्री पाल !! -------------------------------------------- माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली प्रथम भारतीय महिला बछेंद्री पाल का जन्म आज ही के दिन 24 मई 1954 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र के छोटे से गांव नौकुरी में हुआ था। इनके गांव में लड़कियों के पढ़ने लिखने और पर्वतारोहण जैसे कठिन काम करने को अच्छी नज़रों से नहीं देखा जाता था , लेकिन आज अपनी उपलब्धियों की बदौलत बछेंद्री अपने गांव की ही नहीं बल्कि आसपास के इलाके तक की दुलारी बेटी बनी हुई हैं। जब उनकी उपलब्धियां बढ़ती गईं तो उनकी एमए और बीएड डिग्री का मज़ाक उड़ाने वाले गांव वाले उन्हें असली हीरो मानने लगे। एवरेस्ट फतह के 37 साल (23 मई 2021) पूरे होने के मौके को सेलिब्रेट करते हुए बछेंद्री बताती हैं, " उनकी आंखों में मेरे प्रति सम्मान है. ज़िंदगी मुश्किल में बिताई, बचपन में घास काटी, लकड़ी काटी, जंगल गई. इसलिए मजबूत थी. पर्वतारोहण में अपने आप दिलचस्पी हो गई थी. मजबूत इच्छाशक्ति वाली महिला थी मैं." "महिलाओं की शिक्षा की चिंता किसी को नहीं है. मेरे माता-पिता भी मेरे पढ़ने की चाहत से खुश नहीं थे...

गांव में पंचायत चुनाव आया था

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लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व पंचायत चुनाव जब भी गांव के तरफ बढ़ता है तो गांव के कुछ घरों में मतभेद पैदा करके आता है तो यह कविता गांव पर है जहां पर पंचायत चुनाव को लेकर भाई और भाई में मतभेद हो जाता है कई रिश्ते टूट जाते हैं और फायदा सिर्फ एक परिवार को होता है जिससे वह अपनी जरूरतें पूरी करता है जनता की नहीं यदि जनता की जरूरतें पूरी करता है तो उसमें भी अपने हित के बारे में सोचता है मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सभी प्रत्याशी एक जैसे होते हैं क्योंकि सब की विचारधारा अलग अलग होती है कोई अपनों के लिए लड़ता है कोई अपने लिए लड़ता है भाई को भाई से लड़ाने का त्योहार आया था भाई को भाई से लड़ाने का त्योहार आया था हा गांवो में पंचायत चुनाव आया था अपने रिश्तों को संभाल कर रखना ऐ मेरे दोस्तो  पंचायत का ए त्योहार आया था रोशन कर जायेगा ए किसी के घर को   पर तुम्हारे आंगन में दिवाल डालकर  अपने रिश्तों को संभाल कर रखना ऐ मेरे दोस्तो  पंचायत का ए त्योहार आया था वो जाए किसी भी रास्ते तुम उसको समझा लेना गलतियां कर दे कुछ भी उसको गले से लगा लेना  बड़े हो यदि तुम तो उसे डाटकर...