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जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

खैर अपनी शादी का बुलावा देना मैं आऊंगा जरूर

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खैर अपनी शादी का बुलावा देना मैं आऊंगा जरूर  एक ही निवाला सही खाऊगा जरूर,  आखिर कब तक आंसुओं से पेट भरता रहुगा ऐसे कब तक तुझे याद करता रहूंगा,   पूरी रात रुक के सातों फेरे देखूंगा मैं,    वह सात वचन जब लोगी तुम ईश्वर की कसम जब लोगी तुम,    तुम्हारी आंखों में शर्म देखनी है मुझे,     आग की लपटें भी चीख उठे अग्नि इतनी गरम देखनी है मुझे,     उस दिन के बाद हर रात नाचूंगा मैं जिस दिन तुम्हारी बारात में नाचूंगा मैं,      कोई पूछेगा रुखसती के वक्त यह आंखों में आंसू क्यों नहीं,       हंस के कह दूंगा मेरे महबूब की शादी है मैं नाचूं क्यों नहीं

मेरे घर की शान भी लड़की से, बेटियां

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सपने सुहाने  लड़कपन से लगाकर देश न आना लाडो तक की कहानी है माँ का दुलार एक लड़की से , पिता की शान एक लड़की से, घर का मान एक लडकी से, भाई की राखी एक लड़की से, बहन की सखी एक लड़की से, पति का प्यार एक लड़की से, आशिक की की जान एक लड़की से,  औऱ मेरे घर की शान भी एक लड़की से।#बेटी 

कहानी फूलन देवी की, जिसने बलात्कार का बदला लेने के लिए 22 ठाकुरों की जान ले ली

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कहानी फूलन देवी की, जिसने बलात्कार का बदला लेने के लिए 22 ठाकुरों की जान ले ली   फूलन देवी एक दस साल की लड़की, जो अपने बाप की जमीन के लिए लड़ गई थी. या एक बालिका-वधू, जिसका पहले उसके बूढ़े ‘पति’ ने रेप किया, फिर श्रीराम ठाकुर के गैंग ने. या एक खतरनाक डाकू, जिसने बेहमई गांव के 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर मार दिया था. या फिर उस ‘चालाक’ औरत के रूप में, जो शुरू से ही डाकुओं के गैंग में शामिल होना चाहती थी. वो औरत, जिसकी जिंदगी पर फिल्म बनाकर उसका बलात्कार दिखाने वाले शेखर कपूर ने उससे पूछा भी नहीं था. या शायद एक पॉलिटिशियन के तौर पर, जिसने दो बार चुनाव जीता. या फिर एक औरत, जो खुद से मिलने आये ‘फैन’ शेर सिंह राणा को नागपंचमी के दिन खीर खिला रही थी, बिना ये जाने कि कुछ देर बाद यही आदमी उसे मार देगा. फूलन दस साल की उम्र में भी फूलन के तेवर वही थे 10 अगस्त 1963 को यूपी में जालौन के घूरा का पुरवा में फूलन का जन्म हुआ था. गरीब और ‘छोटी जाति’ में जन्मी फूलन में पैतृक दब्बूपन नहीं था. उसने अपनी मां से सुना था कि चाचा ने उनकी जमीन हड़प ली थी. दस साल की उम्र में अपने चाचा से भिड़ गई. जमीन...

गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर..........🙏

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*गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर शिक्षा का दीप जलाकर अंधकार को दूर भगाने वाले शिक्षकों, परिवार के सदस्य एवं उन सभी शुभचिंतकों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मेरा हमेशा मार्गदर्शन किया है* *यदि मुझे एक दो लोगों से शिक्षा की प्राप्ति हुई होती तो उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर जरूर लगा देता लेकिन मेरा मार्गदर्शन तो उन सभी लोगों ने किया है जिनसे मुझे सीखने को कुछ न कुछ मिला है* *गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर मैं आप सभी लोगों के चरणों में नतमस्तक हूं गुरु पूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनाएं प्रिय सर, परिवार के सदस्य, छोटे एवं बड़े भाई बहन, दोस्त एवं वे तमाम लोग जिन से कुछ न कुछ हमें से सीखने को मिलता है*

मैं नसे में जरूर हूं ........

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हेलो दोस्तों कैसे हैं आप उम्मीद है कि आप अच्छे ही होंगे आप पढ़ते रहिए मेरी लिखी कहानियां कविताएं और ब्लॉग कर दीजिए मुझे ढेर सारी आशीर्वाद मैं लेके आया हु आप के लिए एक और खूबसूरत लाइन,  तो पढ़ते रहिए हंसते रहिए सफलता के लिए भागते रहिए "हर शख़्स नशे में है यहाँ" मैं नशे में जरूर हूँ.. मगर नशा शराब का नही; ना चरस, ना अफ़ीम और ना ही तम्बाकू, गाँजे का है। नशा है किसी की बातों का किसी की आँखों का.. ( कलम में स्याही देने वाले दोस्त ) फोटो:- गैलरी

राह के इक मोड़ पर रहता_ रहता वो शख्स है

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राह के इक मोड़ पर रहता_ रहता वो शख्स है,  अश्कों में यूं जैसे बहता _बहता वो शख़्स है!   जब चाहूं गले से मिल लूं उससे मै तपाक से,  ऐसे मुझसे मुझको सहता_ सहता वो शख़्स है!  बेपर्दा बेहिजाब सी खो जाऊ जो उसमे मै,  मै तुम न होकर हम रहता_ रहता वो शख़्स है!   दुनिया की हर निगाह से हो गई हूं बेखबर सी,   अपनी दुनिया मुझे कहता_कहता वो शख़्स है!   दोनों जहां उसकी मोहब्बत में कुर्बान करू मै,  मेरे गजलों के जहां में बहता_बहता वो शख़्स है! दो जिस्म रूह हयात हमें बोलना भी फिजूल है,  इक जिस्म रूह हयात कहता _कहता वो शख़्स है!

आजकल की मोहब्बत भी हैरान हो गई हैइश्क का नाम लेकर जिस्म नोच रही है

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आजकल की मोहब्बत भी हैरान हो गई है इश्क का नाम लेकर जिस्म नोच रही है पापा की परी जो कहलाती हैं घरों में छिपकली से भी जो डर जाया करती है घरों में इश्क के नाम पर वह कपड़े उतार रही हैं आजकल की मोहब्बत भी हैरान हो गई है इश्क का नाम लेकर जिस्म नोच रही है यूं ही नहीं बदनाम हो रहा है इश्क गलियों में पापा की परी मां के मगरमच्छों ने इस लायक बनाया इसे जो अपने बहन से राखी बनवाते हैं किसी और के बहन पर नजरें गड़ाते हैं आजकल की मोहब्बत भी हैरान हो गई है इश्क का नाम लेकर जिस्म नोच रही है वो इश्क को यूं बदनाम करवाते हैं जैसे पटरी पर सब्जी का दुकान लगवाया जाता है आजकल की मोहब्बत भी हैरान हो गई है इश्क का नाम लेकर जिस्म नोच रही है जो कभी लैला मजनू की कसमें खाया करते है अब नाम सुन के सरमाया करते हैं भरे बाजार में जिस नोचा जाता है लैला का बार-बार इसे मोहब्बत का नाम बतलाया जाता है आजकल की मोहब्बत भी हैरान हो गई है इश्क का नाम लेकर जिस्म नोच रही है फोटो:- अतुल विश्वकर्मा, राजपुत रंजित सिंह, चंद्रेश कुमार (दिल के बेहद करीब रहने वाले  मित्र को समर्पित जिनकी मोहब्ब्त मुकम्मल न हो सकी...