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सितंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जो टूट कर जमी पर बिखर गए......

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जो टूट जमीं पर बिखर गये उन पत्तों से क्या वफ़ा करें जो सुनने को तैयार नहीं उन लोगों से क्या कहा करें जो फेर के नज़रे बैठ गये अब उनसे हम क्या दुआ करें जैसा भी है सब ठीक ही है क्यों हम ग़फ़लत में जिया करें

शब्द की मिट्टी से प्रेयसी तेरी मूरत गढ़ रहा हूँ

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शब्द की मिट्टी से प्रेयसी तेरी मूरत गढ़ रहा हूँ आज फिर से प्रेम की बिसरी कहानी पढ़ रहा हूँ  कर रहा तुझको समर्पित फिर से वो सारे स्वप्न और करता हूँ समर्पित ये अश्रु से भीगे नयन ये विरह और वेदना का गीत फिर न गाऊंगा फिर से दो क्षण बैठ तेरे केश मैं सुलझाऊंगा जिसपे चलते साथ तुम जाने कब आगे बढ़ गयी आज भी उम्मीद बांधे उस डगर पर बढ़ रहा हूँ शब्द की मिट्टी से प्रियसी तेरी मूरत गढ़ रहा हूँ आज फिर से प्रेम की बिसरी कहानी पढ़ रहा हूँ।