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अक्टूबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भीड़ नही है मेरे पास लोगो की👬

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भीड़ नही है मेरे पास लोगो की👬 बस गिने चुने कुछ ख़ास लोग है💕

अरसे से तड़प रहा हूँ मौत को न जाने क्यों ज़िन्दगी मेहरबान है

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अरसे से तड़प रहा हूँ मौत को  न जाने क्यों ज़िन्दगी मेहरबान है   अब इससे रिहा होना चाहता हूँ  मर कर भी क्यों मुझमें जान है  और कितना मैं कुरेदूँ ज़ख्मों को  और बाकी कितना इम्तेहान है #kumarvipinmaury

तेरे तन पर कपड़ा चढ़ते गया.........

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तेरे तन पर कपड़ा चढ़ते गया।  तेरा सौंदर्य उतना ही बढ़ता गया।। हम जिस तरह से हिंदुस्तान के संस्कृति को छोड़कर आधुनिक संस्कृति में लिप्त होते जा रहे हैं यह हमारी संस्कृति के ऊपर खतरा है किसी भी देश की संस्कृति उस देश को और उस देश के संस्कारों को बताती है हिंदुस्तान के संस्कृति आस्था की संस्कृति है लोकतंत्र के संस्कृति हैं भाईचारे की संस्कृति है हिंदुस्तान के आप किसी भी कोने में घूमेंगे उस कोने में आपको देश के विभिन्न प्रकार के संस्कृतिया दिखेंगी यह वक्त जितना देश को विकसित बनाने का है उतना ही देश की संस्कृति को बचाने का भी है भारतीय संस्कृति से हमारी पहचान है उतना ही हम से भारतीय संस्कृति की पहचान है देश के हर एक व्यक्ति का पहला प्रयास हिंदुस्तान की संस्कृति को बचाना होना चाहिए देश में विभिन्न जाति धर्म मजहब के लोग रहते हैं विभिन्न तरह के संस्कृत या दिखाई देती है यदि यह संस्कृति विलुप्त हो जाएगी तब इसमें हमारा अस्तित्व नहीं होगा अपना अस्तित्व बचाने के लिए हमें इस संस्कृति को बचाना होगा हम सभी लोगों को लड़ाई धर्म को लेकर नहीं लड़नी है लड़ाई शिक्षा को लेकर लड़नी है चिकित्सा...

जब बूंद बगावत करती है............????????

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जब बूँद बग़ावत करती है दरिया की ख़िलाफ़त करती है तो बैठ हवा उड़ जाती है वो बादल से जुड़ जाती है तुम भी चुप न बहना सीखो ना नियति को सहना सीखो यलगार करो जग मेरा है हुँकार भरो सब मेरा है कुछ स्वप्न नहीं सब ईक्षा है जो भाग्य मिले वह भिक्षा है तुम भी क्यों भिक्षुक बनते हो क्यों पौरुष की ना सुनते हो हो मानुज भान जरा कर लो तुम खुद का ज्ञान जरा कर लो और उठो करों को खोलो तो आदेश जगत से बोलो तो हर मार्ग स्वतः खुल जायेगा और भाग्य दौड़ता आयेगा #kumarvipinmaury