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यह बिहार के युवाओं का शिक्षा के प्रति संघर्ष है......

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यह बिहार के युवाओं का शिक्षा के प्रति संघर्ष है यदि बिहार की शिक्षा व्यवस्था अच्छी होती तो बिहार के युवाओं को शिक्षा के लिए इतना संघर्ष नही करना पड़ता उन्हे बस के पीछे लटक कर सफर नही करना होता आप सोचिए जिस बिहार ने देश को सबसे ज्यादा IAS और IPS अधिकारी दिया जो लगभग देश के है विभाग को संभाल रहे है उसी बिहार के शिक्षा को प्राप्त करने के लिए जान की बाजी लगानी पढ़ती है। यह जो बस के पीछे युवा लटक के शिक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं कल यही युवा किसी न किसी जिले में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में बैठकर उसी जिले का लो एंड ऑर्डर संभाल कर उस जिले का भाग्य लिखेंगे। मुझे नहीं पता क्या बिहार के युवाओं को किस नजरिए से देखते हैं लेकिन मैं हमेशा युवाओं को एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में देखता हूं क्यों किया वहीं बिहार के युवा अपने बैग में सतवा भर के घर से निकलते है और एक आईएएस अधिकारी बन के घर आते है और देश के किसी जिले या विभाग में बैठ कर देश को प्रगति, शान्ति और समृद्धि के रास्ते पर धकेल देते है। जिस बिहार की साक्षरता दर सबसे कम है उस बिहार के युवा शिक्षा के लिए जो संघर्ष कर रहे है वह हर रा...

लोगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते-लड़ते का बुरा हो गया यह मुझे पता ही नहीं चला।

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(फोटों:- यह तस्वीर मेरी है जो बड़ी बहन के शादी में दोस्तो ने खींची थी) लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते- लड़ते हम कब बुरे हो गए हमें पता ही नहीं चला हमने कभी भी जाति,धर्म,मजहब और वेशभूषा की लड़ाई नहीं लड़ी मैने हमें से जाति धर्म मजहब और वेशभूषा से हटके लड़ाई लड़ी इस लड़ाई में मुझे क्या मिला और मैंने क्या खोया इसका जिक्र करना बेकार है बचपन से जो भी कुछ देखते आया था और वर्तमान स्थिति में जो भी कुछ देख रहा हूं जो भी कुछ सीख रहा हूं और जो भी कुछ सीख चुका हूं उन सब को मिलाकर यदि मैं अपना अनुभव साझा करूं तो मैंने हमेंसे लड़ाई शिक्षा की, चिकित्सा की, रोजगार की, महिला सुरक्षा की, विकास की एवं एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए लड़ी मेरे पिता ने सही को सही कहना सिखाया है और गलत को गलत कह कर खुलकर विरोध करना सिखाया है गलत कोई भी करें उसका विरोध करना मुनासिब हैं। (फोटो:- आगे से क्रमश:, आदित्य सिंह मौर्य, मैं, आलम खान, बड़ी भाई नंदन यादव, अनीश मौर्य, प्रभाकर सिंह पटेल, अहमद और सबसे किनारे खडा भाई आनंद) अच्छी तरह से मालूम है कि मैं कुछ लोगों को अच्छा नहीं लगता क्योंकि मैं हमेश...

विश्व विजेता सम्राट अशोक के जन्मोत्सव पर विशेष.......

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सम्राट अशोक जब मगध के शासक बने तब मगध साम्राज्य की सुंदरता खुद में मनमोहक था इस राज्य की सुव्यवस्था में चन्द्रगुप्त मौर्य की योग्यता, चाणक्य की नीति और बिंदुसार के सुप्रबंध के सारे गुण थे. राज्या भिषेक के आठवें वर्ष एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना घटी, जिसने अशोक के जीवन को ही नहीं, अपितु भारत के इतिहास को भी बदल दिया.  (फ़ोटो:- विश्व विजेता सम्राट अशोक महान) जब जब पाटलिपुत्र में गृहयुद्ध हुआ तब तक अशोक में नेतृत्व किया और उस गृहयुद्ध को कुचलकर सुशासन की नींव रखी सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में कई राज्यों को जीता उन्होंने अफगानिस्तान से तमिलनाडु तक मगध साम्राज्य को फैलाया। अशोक अब अपनी निपुणता से एक बड़े राज्य का अधिकारी थे. उसे शत्रुओं का भय नहीं था. राज्य में सर्वत्र शांति का साम्राज्य था. परन्तु अशोक को अपनी राजधानी से कुछ ही दूर एक छोटा  सा स्वतंत्र राज्य खटकता रहता था.    उस राज्य का नाम था कलिंग.  जी हां मैं बात उसी कलिंग राज्य कर रहा हूं जिस के युद्ध में सम्राट अशोक विजई जरूर हुए लेकिन उनका महात्मा बुध के तरफ ध्यान आकर्षित हो गया कहा जाता है कि कलिंग...