खुबसूरत है उत्तर प्रदेश आइए घुमाते हैं..........
कविताएं लिखने और पढ़ने का शौकीन तो आज की कविता अपने जन्म भूमि उत्तर प्रदेश पर है भारत के उत्तर में बड़े भूभाग पर है यह प्रदेश विषमताओं से भरे इस प्रदेश के कंठ में विराजते हैं महादेव में मजा कहां जब तक ना हो दही घी और अचार....... राम के आदर्शों का प्रदेश यह आधार है कबीर के दोहों का निकला यहीं से सार है बिना नाम लिए इस प्रदेश का बिकता नहीं कोई अखबार है हां मैं उत्तर प्रदेश से हूं यह मेरा पहला पहला प्यार हैदिल भी हिंदी का यही बसता है यह मेरा पहला प्यार है दिल भी हिंदी का यही बसता है यही से गुजरता राजनीति का हर एक रास्ता है प्रेम की मूरत ताजमहल यही विद्वान है संगम की पवित्र स्थल में होता यह स्नान है....... प्रसिद्ध यही कानपुर के चमड़े का सामान है बनारस के पान जैसा विश्व में भी नहीं कोई दूसरा नाम है हर प्रदेश की धूप यहां बन जाती धाम है हर देश की धूप यही बन जाती धाम है यही के अयोध्या के ही तो श्रीराम हैं यही के अयोध्या के ही तो श्रीराम है..... यहां से विख्यात नहीं कोई घाट और श्मशान हैं श्याम के बांसुरी की धुन आज भी वृंदावन में विराजमान है श्याम के बांसुरी की धुन आज भी वृंदावन में विराजमान है...