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जून, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अब ज़रूरी नहीं है कि..........

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अब जरुरी तो नहीं है की, हर क़िताब से इश्क की शुकून मिले.....🥰 कुछ किताबे इश्क से ज्यादा शुकून देती है जैसे शुकून तुम देती हो ज़िंदगी.......😊 नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है) © कुमार विपिन मौर्य ✉️ Kumarvipinmaury@gamail.com #kumarvipinmaury  

जिंदगी में दो तरह के रिश्ते होते हैं

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जिंदगी में दो तरह के रिश्ते होते है- एक वो रिश्ता जो हमे बेहतर बनाने के लिए इंस्पायर करता है और एक वो जो हमे बर्बाद करता है।एक वो जो हमे सुकून देता है और एक वो जो सुकून छीन लेता है लेकिन ज्यादातर हम गलत रिश्ता ही क्यों चुनते है? हम वही प्यार क्यों चुनते है जिससे हम बिखर जाते है ? हालांकि...समाज की घिसीपिटी सोच और रीतिरिवाज हमे बर्बादी की ओर धकेलती है। समाज हमे सिखाता है कि दर्द में मजा है लेकिन...ऐसा नही है, ये बिल्कुल गलत है क्योंकि... ये मजा नही सजा है। इसमें रोमांस है पर ये तकलीफदेह है इसलिए... रिश्ता वही चुनें जो आपको निखार दे ना कि बिखेर दे...!

बिहार की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था, यह बिहार का दुर्भाग्य है

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यह बिहार का दुर्भाग्य है जिस बिहार से देश के सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित आईएएस पीसीएस निकले एवं विश्व को शांति समृद्धि एवं धर्म का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध ने गया बसाया और जिस धरती से सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने संपूर्ण भारत को एक अखंड भारत में तब्दील कर दिया था आज उसी बिहार की शिक्षा व्यवस्था सड़कों पर बैठी हुई है और बिहार की सरकार चुपचाप तमाशा देख रही है जिस बिहार में सबसे ज्यादा जन आंदोलन हुआ आज वही बिहार मेडिकल की छात्राओं के लिए जन आंदोलन करने पर राजी नहीं जब जब बदलाव की आंधी शुरू हुई है बिहार से शुरू हुई है चाहे वह चंपारण हो या जयप्रकाश नारायण का आंदोलन है।                                              (फोटो:- save the doctor ) बिहार के राजनीति इन्हें मेडिकल कॉलेज के छात्रों पर टिकी हुई है सरकार के पक्ष के लोग जवाब देने से बच रहे हैं और विपक्ष में खड़े लोग राजनीति मुद्दा बनाने पर उतारू हैं कल दफा की प्रेसिडेंट मेडिकल की छात्राओं से मिली थी उनका ट्वीट देखा उस...

उफ यह गर्मी का मौसम और पहाड़ घूमने की चाहत.....................

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उफ यह गर्मी का मौसम और पहाड़ घूमने की चाहत ने पसीना छुड़ा दिया लेकीन एक शुकून हृदय की कोशिकाओं को राहत दे गया वह सुकून था देश की शान में खडे पहाड़ों को देखने का और उन पर चढ़ के उनकी ऊंचाई को मापने का, जब मैं देश के सबसे मजबूत प्रकृति दृश्य को संजोने वाले पहाड़ों को देखने और उन पर घूमने के लिए निकलता हूं तो मेरे मन के अन्दर एक जिज्ञाश जागरूक होने लगती है, मुझसे पहले मेरे पूर्वजों ने इस पहाड़ को इस हालात में देखा होगा, उन्होंने इस पहाड़ को बचाने के लिए क्या संघर्ष किया होगा, यह पौधे पहले की तरह अब भी चट्टानों से लगा है की मेरी पुरानी पीढ़ी ने इसे लगाया है इस पहाड़ पर उगे झाड़ियों और पेड़ो को कोई भी लगाया है इसे बचाने और हरा भरा करने की जिम्मेदारी इस नई पीढ़ी के युवाओं को है  वर्षा ऋतु के दौरान जब मैं इन पहाड़ों को घूम रहा था तब एक अलग ही अहसास मिल रहा था मानो मैं अपने परिवार के बीच आया हू जहा का माहौल मैंने नही कुदरत ने बनाया है अब जब आज इन पहाड़ों को देखा तब हृदय बहुत दुःखी हो रहा है और हृदय से एक आवाज आ रही थीं जैसे कोई अपना साथ छोड़ के जा रहा ह...

"तुम्हारे हर समस्या का समाधान हूं मै, कुमार हु मै......😊"

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हम अमन और शांति पसंद लोग हैं हमारी प्रारंभिक प्राथमिकता है अमन और शांति को बनाए रखना और हम उम्मीद करते है हम से प्रभावित होने वाले लोग अमन और शांति को प्राथमिकता देते है, हमारे अमन और शांति का मतलब यह नहीं है कि अत्याचार हो और हम देखते रहे जब जब अत्याचार होगा तब तब हम बोलेंगे हम जितना अमन और शांति को बनाए रखने की कोशिश करते हैं उतना अपने हक और अधिकार की लड़ाई लड़ते हैं। जो लोग बार-बार कहते हैं अन्याय को देखकर मैं शांत रहता हूं उन्हें बता दूं, "तुम्हारे हर समस्या का समाधान हूं मै, कुमार हु मै......😊" नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है) © कुमार विपिन मौर्य ✉️ Kumarvipinmaury@gamail.com #kumarvipinmaury #कुमार_विपिन_मौर्य #kumarvipinmaury

यार हो तुम दिलदार हो तुम....... #kumarvipinmaury

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यार हो तुम दिलदार हो तुम मेरे हर वजूद का साथ हो तुम मेरे दोस्ती का मिसाल हो तुम पहली कक्षा का साथ हो तुम   यार हो तुम दिलदार हो तुम  पढ़ाई की पहली पाठ हो तुम  क्लास की पहली बात हो तुम  ज़िंदगी की पहली किताब हो तुम  यार हो तुम दिलदार हो तुम यार नही भौकाल हो तुम मेरे हर दर्द का दवा हो तुम मेरे ज़िंदगी का पहला प्यार हो तुम   यार हो तुम दिलदार हो तुम       सब कहते है क्या हो तुम  कैसे कह दू दीवाल हो तुम   सुकून की पहली सास हो तुम नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है) © कुमार विपिन मौर्य ✉️ Kumarvipinmaury@gamail.com #kumarvipinmaury #कुमार_विपिन_मौर्य #kumarvipinmaury