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आने वाले समय में देश की शिक्षा व्यवस्था बहुत महंगी हो जाएगी हमारा प्रयास है कि हम आपको अच्छी और मुफ्त शिक्षा दे

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अभिवादन! मैं आप सभी के बीच में कुछ महत्वपूर्ण बातें करने जा रहा हूं, आशा है कि आप उसकी बात सुनेंगे, क्यूकी मुझे पता है कि आज के छात्र को कितना और कितना की उम्मीद करनी चाहिए, उम्मीद है कि छात्र खरा उतरेगा, आने वाले समय में देश की शिक्षा व्यवस्था बहुत महंगी हो जाएगी हमारा प्रयास है कि हम आपको अच्छी और मुफ्त शिक्षा दे सकें पूरा देश आधुनिकता के युग में आगे बढ़ रहा है हम भी आधुनिकता के युग में आपका हाथ थाम सकेंगे और आने वाले समय में हम आगे बढ़ने का प्रयास करेंगेदेश के छात्रों को डिजिटल फ्री शिक्षा दें, इसके लिए मैंने और हमारी पूरी टीम ने बहुत काम किया है, हम लोगों को फ्री शिक्षा देंगे, जहां आप पीजी से लेकर इंटरमीडिएट और ग्रेजुएशन तक के विषयों की पढ़ाई करेंगे। हम शिक्षा की कंपनी नहीं खोल रहे हैं यह एक मिशन है मिशन का सपना हमने दिल्ली की सड़कों पर देखा था अब समय आ गया है हम अपने सपने के लिए दौड़ें इस भाग की दौड़ में हमें क्या मिलेगा क्या खोएंगे और क्या मिलेगा इसका नुकसान मैं नहीं जानता लेकिन मैं जानता हूं तो निश्चित रूप से मेरा संघर्षतुम्हें अच्छी शिक्षा दूँगा और मु...

विश्व महिला दिवस पर महिलाओ के अधिकारो की बात......

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एक विकशित और आधुनिक देश के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले नारी शक्ति देश की महिलाओं को महिला दिवस की असीम अनंत शुभकामनाएं। देश विकसित हो या विकासशील किसी भी देश के आंतरिक संरचना की जिम्मेदारी देश की महिलाओं के कंधों पर होता है देश की महिला देश की आंतरिक संरचना के जिम्मेदार होती है जिस देश के महिलाएं ज्यादा पढ़ी लिखी होती हैं उस देश की आंतरिक रचना मजबूत होती है विश्व पटल पर कई देश ऐसे भी हैं जहां पर बाहरी संरचना की जिम्मेदारी भी उस देश के महिलाओं के कंधे पर है आने वाले समय में जो देश महिलाओं को जीतना ज्यादा सशक्त होने का पहल करेगा वह देश उतना ही विकसित होगा देश की सरकार को मौजूदा स्थितियों को देखते हुए संसद और मंत्रालयों में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित कर देना चाहिए जिससे भ्रष्टाचार जैसा बीमारी कम हो जाएगा महिला शोषण भी बंद हो जाएगा वर्तमान समय में महिलाओं की स्थिति पहले से सुधरी है लेकिन समय के साथ-साथ महिलाओं की स्थिति और सुधारने की आवश्यकता थी आने वाले समय में देश का कार्यभार महिलाओं के कंधों पर होगा महिला अध्यक्ष लाएंगे और सत्ता सुनिश्चित करेंगी। पुनः विश्व मह...

कुछ सफर ऐसे होते है...…....😊

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कुछ सफर ऐसे होते है जिसमे साथ चलने वाले लोग तो साथ होते है लेकिन अपना पन कही न कही महसूस नही हो पता है एक सफर का यात्री मैं भी हूं मेरा यह सफ़र खुद के लिए है खुद को बनाने के लिए और खुद को एक मंजिल तक पहुचाने के लिए है मै अपने सफर में अकेला हूं मेरे इस सफर का साथी मेरे किताब है मुझे भी सफर में किसी की आवश्यकता होती है उस समय मेरी आवश्यकता को मेरी कितने पूरी करती है कभी कभी इस सफ़र में मै हताश हो जाता हूं उस समय मेरी कितने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है और मै सफर को फिर से शुरू करता हूं मंजीत तक पहुंचने के लिए, कुछ पाने के लिए......................🙂 नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है) © कुमार विपिन मौर्य ✉️ Kumarvipinmaury@gamail.com #kumarvipinmaury #कुमार_विपिन_मौर्य #kumarvipinmaury #kumarvipinmaury #kumarvipinmaury

तस्वीरें इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग के दौरान की है।

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तस्वीरें इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग के दौरान की है। फोटो:- (पीछे से अमन कुमार, मैं, रंजीत सिंह राजपूत और अपने हाथो में कैमरा पकड़े अरविंद यादव) यह तस्वीरे मैने अपने गैलरी में छुपा रखी है आने वाले समय मे इन तस्वीरों को देखकर मुस्कुराऊंगा और अपने इंजीनियरिंग कॉलेज के यादो को ताजा करूंगा फिर देश के यूवाओ को लेकर, उनके हालात को अपने स्वतंत्र कलम से लिखूंगा जिसे आप लोग पढ़ के मुस्कुराएंगे, यह वही लोग है जिन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज के दौरान देश की हालात और इश्क नाम के सुनहरे चिंडिया पर लिखने के लिए कलम को हाथो में पकड़ाया था फोटो:-   (पीछे से क्रमशः उदय, विशाल, अमन, रंजीत, अरविंद और मैं) आज उसी कलम का परिणाम देश के लोग देख रहे है जो देश के हर हालात पर देश की स्थिति को लिखते समय अपने रास्ते से थोड़ा भी नही डगमगाता है। #kumarvipinmaury  कुमार विपिन मौर्य

देश के महिलाओं को शिक्षित करने वाली शिक्षा की जननी सावित्री बाई फुले।।

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जीवन में हमेशा याद रखना नारी कभी हारती नहीं उसे हराया जाता है, लोग क्या कहेंगे यह कह कर उन्हें बचपन से डराया जाता है ( फोटो:- शिक्षा के देवी सावित्री बाई फुले के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए) आज आप जब स्कूल में पहुंचते हैं तो गुड मॉर्निंग सर और गुड मॉर्निंग मैम कहकर संबोधित करते हैं अगर सावित्रीबाई फुले ना होती तो आज हम स्कूलों में सिर्फ गुड मॉर्निंग सर नहीं कहते गुड मॉर्निंग मैम नहीं कर पाते हैं क्योंकि किसी भी शिक्षण संस्थान में कोई भी महिला अध्यापक नहीं होती। (फोटो:- DR एपीजे अब्दुल कलाम विद्यालत में राष्ट्र माता सावित्री बाई फुले जी के श्री चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित करके हुए) आज हम उस औरत की बात कर रहे हैं जो महाराष्ट्र के पुणे में एक दलित घर में जन्म 9 वर्ष की उम्र में उनकी शादी कर दी जाती है कहते हैं कि जब सावित्रीबाई फुले छोटी थी तो अंग्रेजी की किताब पढ़ रही थी उनके पिता ने उन्हें यह समझाया कि महिलाएं शिक्षा को गिरा नहीं कर सकती हैं कहीं ना कहीं यह बात उनके हृदय में चूकती गई 9 वर्ष की उम्र में जब उनकी शादी ज्योतिबा फुले से होती है तो उन्हें धी...

अच्छा हुआ की उन दोस्तो का साथ छूट गया......

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अच्छा हुआ कि उन दोस्तों का साथ छूट गया जिनकी दोस्ती की नींव कमजोर थी। वरना न जाने किन परिस्थितियों में धोखे का सामना करना पड़ता। जिनके सामने सबकुछ न्यौछावर कर दो वही अंत में कहते हैं तुम्हारे बुरे हालात में खुशी मनाते फिरते है। अरे नहीं भाई... तुमसे नफ़रत नहीं परन्तु तुम्हारी औकात ही नहीं मुझे समझने की.!!! कोई तुम्हें क्यों समझेगा.. मैं जान गया दोस्ती जैसा कुछ नहीं होता...दोस्ती रिश्तों का मैल है जो समयानुसार आता जाता रह जाता है। हर पड़ाव पर जीवन के कुछ संबध पीछे छोड़ने पड़ते हैं और कुछ स्वतः छूट जाते हैं लेकिन दर्द तब ज्यादा होता है आपसे 100% के एवज में 10% भी न मिले। उनके जीवन मे नए लोगों आने के बाद आपका जिगरी दोस्त भी आपके उम्मीदों पर लात मारकर निकल सकता है। ©️ कुमार विपिन मौर्य #kumarvipinmaury

देश का शिक्षक वर्ग और देश का आधुनिक व्यापारी शिक्षक वर्ग.........

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देश का छात्र वर्ग शिक्षकों के नजर में अपनी छवि बनाने के लिए किसी भी व्यक्ति के ऊपर व्यक्तिगत टिप्पणी करने से नहीं चूक रहा है यह देश के उज्जवल भविष्य के लिए दुर्भाग्य की बात है जिन्हें छात्रों को कक्षा में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने की जरूरत है उन्हें प्रत्येक शिक्षकों को सम्मान देने की जरूरत है उन्हें प्रत्येक शिक्षकों से सीखने की जरूरत है वहीं छात्र आज शिक्षकों के ऊपर व्यक्तिगत रूप से टिप्पणी कर रहे है और वह छात्र शिक्षकों के सामने व्यक्तियों के ऊपर व्यक्तिगत टिप्पणी करने से नहीं चूक रहे है शिक्षा व्यवस्था की बागडोर कमजोर करने की एक बडी कड़ी है जिन छात्रों को शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए वहीं छात्र शिक्षकों के ऊपर टिप्पणी करके शिक्षा व्यवस्था का गला घोट रहा है आने वाली पीढ़ियों को जब हम 21वीं सदी का शिक्षा व्यवस्था बताएंगे तभी यह जरूर बताएंगे कि किसी शादी का छात्र शिक्षकों के नजर में अपनी छवि बचाने के लिए दूसरे शिक्षकों के ऊपर या फिर दूसरे व्यक्तियों के ऊपर व्यक्तिगत टिप्पणी करने से नहीं चूकता था आने वाली पीढ़ियों को बताया जाएगा किसी शादी का शिक्षा व्यवस्था कैसे खराब हो गया ...

सावन का महीना, भाईयो का साथ......🥰

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सावन का महीना, भाईयो का साथ, मटक का खाना और गांव का शकुन एक अलग अंदाज 🥰 यह मटका का खाना खाने का सौभाग्य मुझे जीवन में पहली बार मिला है मटके में बने खाने को खाने के बाद पता चलता है की हमारे पूर्वज इस मिट्टी से जुड़े रहने के लिए क्यू संघर्ष करते थे गांव का ठेठ देहाती जब मटके में बने खाने को खाता है तो उसे अपने जमीन से जुड़े होने का गर्व होता है उसी गर्व के साथ वो गांव को गांव और गांव के जमीन पर खेती करने के लिए संघर्ष करता है गांव में होने वाली फसलें शहर जाकर हजारों लोग को जीवन देती है 21 साल का होने वाला हूं और इन 21 सालों में विभिन्न जिलों का खाना खाया हूं लेकिन आज अपनी जन्मभूमि में बने इस मटके के खाने को खाकर अभिभूत हूं यह मेरा सौभाग्य है कि मैं जिस मिट्टी से जुड़ा हूं जिस पावन और पूजनीय भूमी में जन्म लिया हू उसी मिट्टी में निर्मित मटके के खाने को खाकर देश को नई दशा और दिशा देने के लिए संघर्ष करूंगा। मुझे गर्व है की मैं गांव से हूं 🥰 #kumarvipinmaury  (नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का...

किसान का बेटा हूं फसले सूखती देख के उम्मीदों को कैसे पाल सकता हूं......

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हम एक किसान के घर में जन्मे हैं और किसान के बेटे हैं खेती बारी खेत खलिहान यह सब हमारे रग रग में भरा है और हम अपने अंदर उम्मीद लिए हुए घरों से खेतों की तरफ चलते हैं भले ही एक किसान का बेटा कितनी भी बड़ी इन यूनिवर्सिटी में पढ़ कर कितना भी बड़ा अधिकारी बन जाए लेकिन वह खेती और बारी को भूल नहीं सकता है क्योंकि यह वही खेती बारी है जहां संघर्ष करके वह बड़े से बड़े यूनिवर्सिटी में पड़ता है और बड़े से बड़ा अधिकारी बनता है। आज अपने कर्म भूमि शेरवा में अपने पूर्वजों के द्वारा बोले गए नई उम्मीद के बीज धान की फसल को देख रहा हूं यह प्रकृति की मार झेल रही है दो बूंद पानी के लिए तरस रही है और हम उम्मीद लगाए बैठे हैं कि बारिश होगी फसल लगेगी फसल को काटकर बेचेंगे और हमारे बच्चे देश के प्रतिष्ठित और विकसित विद्यालयों में पढ़कर देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर देश को नई दिशा और नई दशा पर ले जाएंगे किसान की आजीविका उसके खेत में लगी फसलें होती है आज किसान की आजीविका फसलों पर प्रकृति की मार झेल रही हैं हमारी आजीविका हमारी फसाद दो बूंद पानी के लिए तरस रही है यह देखकर ह्रदय में एक व्याकु...

शुक्रिया MSSC हजारों घरों में शिक्षा पहुंचाने के लिए......... #MSSC

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इस आधुनिकीकरण की दुनिया में हिंदुस्तान के युवा पीढ़ियों का एक वर्ग फेसबुक, व्हाट्सएप और टि्वटर तक ही सीमित रह गया है जिन युवाओं को शिक्षा व्यवस्था के लिए सोचनी चाहिए थी वह आज फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर के माध्यम से अपने विचार धाराओं को प्रकट करने में भी असफल हो जा रहे हैं हमें गर्व है कि हम उस जगह के प्रोडक्ट हैं जहां के शिक्षकों ने हमें सड़क से संसद तक के लिए संघर्ष करने की शिक्षा दी है मुझे आज भी याद है कि मैं कक्षा 9वी में क्या था और आज क्या हूं मैं उससे मॉडल स्टडी साइंस क्लासेस (MSSC) के प्रबंधक निदेशक श्री चंद्रमा प्रसाद मौर्य जी का शुक्रगुजार हूं उन्होंने हमें शिक्षा व्यवस्था से जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ा खुद से ज्यादा हमें सीखने की कोशिश की और समय-समय पर हमें यह फटकार लगाया करते थे कि शिक्षा सवालों को जन्म देती है शिक्षा समाज को सुधारने में प्राथमिक कर्तव्य निभाती है और शिक्षा के दम पर है सिस्टम से सवाल पूछा जा सकता है सरकार को घुटने तक लाया जा सकता है और शिक्षा के दम पर हैं एक विकसित विकासशील और सुरक्षित समाज का सुरक्षित देश का निर्माण किया जा सकता है। यह शिक्षा...

अब ज़रूरी नहीं है कि..........

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अब जरुरी तो नहीं है की, हर क़िताब से इश्क की शुकून मिले.....🥰 कुछ किताबे इश्क से ज्यादा शुकून देती है जैसे शुकून तुम देती हो ज़िंदगी.......😊 नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है) © कुमार विपिन मौर्य ✉️ Kumarvipinmaury@gamail.com #kumarvipinmaury  

जिंदगी में दो तरह के रिश्ते होते हैं

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जिंदगी में दो तरह के रिश्ते होते है- एक वो रिश्ता जो हमे बेहतर बनाने के लिए इंस्पायर करता है और एक वो जो हमे बर्बाद करता है।एक वो जो हमे सुकून देता है और एक वो जो सुकून छीन लेता है लेकिन ज्यादातर हम गलत रिश्ता ही क्यों चुनते है? हम वही प्यार क्यों चुनते है जिससे हम बिखर जाते है ? हालांकि...समाज की घिसीपिटी सोच और रीतिरिवाज हमे बर्बादी की ओर धकेलती है। समाज हमे सिखाता है कि दर्द में मजा है लेकिन...ऐसा नही है, ये बिल्कुल गलत है क्योंकि... ये मजा नही सजा है। इसमें रोमांस है पर ये तकलीफदेह है इसलिए... रिश्ता वही चुनें जो आपको निखार दे ना कि बिखेर दे...!

बिहार की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था, यह बिहार का दुर्भाग्य है

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यह बिहार का दुर्भाग्य है जिस बिहार से देश के सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित आईएएस पीसीएस निकले एवं विश्व को शांति समृद्धि एवं धर्म का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध ने गया बसाया और जिस धरती से सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने संपूर्ण भारत को एक अखंड भारत में तब्दील कर दिया था आज उसी बिहार की शिक्षा व्यवस्था सड़कों पर बैठी हुई है और बिहार की सरकार चुपचाप तमाशा देख रही है जिस बिहार में सबसे ज्यादा जन आंदोलन हुआ आज वही बिहार मेडिकल की छात्राओं के लिए जन आंदोलन करने पर राजी नहीं जब जब बदलाव की आंधी शुरू हुई है बिहार से शुरू हुई है चाहे वह चंपारण हो या जयप्रकाश नारायण का आंदोलन है।                                              (फोटो:- save the doctor ) बिहार के राजनीति इन्हें मेडिकल कॉलेज के छात्रों पर टिकी हुई है सरकार के पक्ष के लोग जवाब देने से बच रहे हैं और विपक्ष में खड़े लोग राजनीति मुद्दा बनाने पर उतारू हैं कल दफा की प्रेसिडेंट मेडिकल की छात्राओं से मिली थी उनका ट्वीट देखा उस...

उफ यह गर्मी का मौसम और पहाड़ घूमने की चाहत.....................

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उफ यह गर्मी का मौसम और पहाड़ घूमने की चाहत ने पसीना छुड़ा दिया लेकीन एक शुकून हृदय की कोशिकाओं को राहत दे गया वह सुकून था देश की शान में खडे पहाड़ों को देखने का और उन पर चढ़ के उनकी ऊंचाई को मापने का, जब मैं देश के सबसे मजबूत प्रकृति दृश्य को संजोने वाले पहाड़ों को देखने और उन पर घूमने के लिए निकलता हूं तो मेरे मन के अन्दर एक जिज्ञाश जागरूक होने लगती है, मुझसे पहले मेरे पूर्वजों ने इस पहाड़ को इस हालात में देखा होगा, उन्होंने इस पहाड़ को बचाने के लिए क्या संघर्ष किया होगा, यह पौधे पहले की तरह अब भी चट्टानों से लगा है की मेरी पुरानी पीढ़ी ने इसे लगाया है इस पहाड़ पर उगे झाड़ियों और पेड़ो को कोई भी लगाया है इसे बचाने और हरा भरा करने की जिम्मेदारी इस नई पीढ़ी के युवाओं को है  वर्षा ऋतु के दौरान जब मैं इन पहाड़ों को घूम रहा था तब एक अलग ही अहसास मिल रहा था मानो मैं अपने परिवार के बीच आया हू जहा का माहौल मैंने नही कुदरत ने बनाया है अब जब आज इन पहाड़ों को देखा तब हृदय बहुत दुःखी हो रहा है और हृदय से एक आवाज आ रही थीं जैसे कोई अपना साथ छोड़ के जा रहा ह...

"तुम्हारे हर समस्या का समाधान हूं मै, कुमार हु मै......😊"

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हम अमन और शांति पसंद लोग हैं हमारी प्रारंभिक प्राथमिकता है अमन और शांति को बनाए रखना और हम उम्मीद करते है हम से प्रभावित होने वाले लोग अमन और शांति को प्राथमिकता देते है, हमारे अमन और शांति का मतलब यह नहीं है कि अत्याचार हो और हम देखते रहे जब जब अत्याचार होगा तब तब हम बोलेंगे हम जितना अमन और शांति को बनाए रखने की कोशिश करते हैं उतना अपने हक और अधिकार की लड़ाई लड़ते हैं। जो लोग बार-बार कहते हैं अन्याय को देखकर मैं शांत रहता हूं उन्हें बता दूं, "तुम्हारे हर समस्या का समाधान हूं मै, कुमार हु मै......😊" नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है) © कुमार विपिन मौर्य ✉️ Kumarvipinmaury@gamail.com #kumarvipinmaury #कुमार_विपिन_मौर्य #kumarvipinmaury

यार हो तुम दिलदार हो तुम....... #kumarvipinmaury

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यार हो तुम दिलदार हो तुम मेरे हर वजूद का साथ हो तुम मेरे दोस्ती का मिसाल हो तुम पहली कक्षा का साथ हो तुम   यार हो तुम दिलदार हो तुम  पढ़ाई की पहली पाठ हो तुम  क्लास की पहली बात हो तुम  ज़िंदगी की पहली किताब हो तुम  यार हो तुम दिलदार हो तुम यार नही भौकाल हो तुम मेरे हर दर्द का दवा हो तुम मेरे ज़िंदगी का पहला प्यार हो तुम   यार हो तुम दिलदार हो तुम       सब कहते है क्या हो तुम  कैसे कह दू दीवाल हो तुम   सुकून की पहली सास हो तुम नोट:- यह मेरा व्यक्तिगत लेख है मैं किसी भी राजनीति दल का समर्थक नही हूं मैं इस देश का युवा पीढ़ी हूं सच्चाई को लिखना और अपना अनुभव साझा करना मेरा प्रथम कार्य है) © कुमार विपिन मौर्य ✉️ Kumarvipinmaury@gamail.com #kumarvipinmaury #कुमार_विपिन_मौर्य #kumarvipinmaury

देश के युवाओं को कंप्यूटर से जोड़ने वाले "राजीव गांधी"

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कई दिनों बाद स्व.राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर #इति_श्री_इतिहास  तारीख़ 12 मई 1991।तमिलनाडु के थिरवलूर में वीपी सिंह की रैली हो रही थी।लोकसभा के चुनाव सिर पर थे। रैली में पर्याप्त भीड़ के बीच एक अनजाना व्यक्ति पत्रकार के भेष में बैठा था। उसके साथ एक महिला भी आई थी। वो व्यक्ति आगे की सीट पर चश्मा लगाए बैठा था। उसकी एक आँख नहीं थी। नाम था शिवरासन। One eye Jack। बम बनाते वक्त पहले कभी उसकी एक आँख चली गई थी। ये था लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन के प्लान को एग्जीक्यूट करने वाला मास्टर माइंड। वीपी सिंह की रैली में उस दिन मानवबम धनु भी आई थी। जानते हैं क्यों ?  ये एक तरह की मॉकड्रिल थी। धनु ने यहाँ D घेरे को पार कर वीपी सिंह के पैर छुए, बस धमाका नहीं किया।हाईसिक्योरिटी घेरे में कैसे घुसा जाता है,पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा को कैसे भेदा जाता है। यहाँ उसकी प्रैक्टिस की गई।बक़ायदा फ़ुल प्रूफ़ प्लान के साथ।ये सबकुछ कल्पना से परे था।फिर आती है तारीख 21 मई 1991।‘ऑपरेशन वेडिंग’ के अंजाम का दिन।निशाने पर राजीव गांधी थे।श्रीपेरंबदूर में रैली शुरू हो गई थी।  राजीव गांधी ज...

जब जब बात बेटियो के अधिकारों की आती है

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जब जब बात बेटियों की आती है बेटों का हक काट दिया जाता है महिला सशक्तिकरण अच्छा है लेकिन बेटियो को अबल सिद्ध करने के लिए बेटों का हक काटना यह कहां का सही है बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन ने रिजल्ट जारी किया है बेटियां ज्यादातर पास है यह काबिले तारीफ है board of technical education की बात छोड़िए मैं अपने कॉलेज की ही बात कर रहा हूं बेटियो को आगे करने के चक्कर में हम बेटो को pretical में 17 से 45 नम्बर कम दिया गया है जबकि लिखित परीक्षा में बेटो ने कमाल का जलवा दिखाया है पहिले, दूसरे और तीसरे semester के topper को pretical में 17 number कम मिला है जबकि लिखित परीक्षा में ज्यादा नंबर है इस आगे में कई बेटियां भी झुलस गई है जो अबल होके भी अपने रिजल्ट को देख कर सोच रही है "यह क्या हो गया" अगर बेटों का हक मार कर बेटियों को आगे बढ़ाना सही है तो यह समानता का परिभाषा नहीं है शिक्षा के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में एवं रोजगार के क्षेत्र में हर जगह समानता की बात होती है तब प्रेटीकल का नंबर देने में यह बात क्यों ध्यान में नहीं रखा गया। मुझे पता है इस post को पढ़ने के बाद मुझे ड...

मां, जिसके के नाम पर आज खूब स्टेटस लगाया गया,मातृ दिवस की असीम शुभकामनाएं...........

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  मां जिसके नाम पर आज खूब स्टेटस लगाया गया कईयों ने मां को जन्नत बताया तो कईयों ने मां को देवी की मूरत इन सब के पीछे कहीं ना कहीं उस ममतामई मां के आंचल का कमाल है जिस आंचल में पला करके हम बड़े हुए और आज देश को नई दिशा और दशा दे रहे हैं। मां सिर्फ मां नहीं होती है वह जन्नत होती है जिसके आंचल में तपता हुआ वह सूर्य भी समाया होता है और ठंडक से भरा वह चंद्रमा भी सब मां के आंचल का कमाल है जो बड़े से बड़े लोगों को मां के आगे झुकने के लिए दिवस करता है और ममतामई मां अपने बेटे को कभी भी अपने आंखों से दूर जाने नहीं देती है। हिंदी साहित्य का कई युग बीत गया आधुनिक युग चल रहा है हिंदी साहित्य का जितने भी कभी आए उन्होंने मां के बारे में कुछ अलग अलग लिखा लेकिन सबने यही लिखा कि ममतामई मां के आंचल को छूना भी हिंदी साहित्य के लिए कठिन है हिंदी साहित्य के लिए ही नहीं बल्कि हर एक तकनीक शिक्षा एवं विभाग के लिए कठिन है। आज अजीत हर्ष उल्लास के साथ मां की तस्वीरें हम सोशल मीडिया पर पोस्ट करके 4×4 के स्क्रीन पर लिखते हैं "मां जन्नत हो आप" उन लोगों से भी पूछना चाहता हूं क्या अना...

यह बिहार के युवाओं का शिक्षा के प्रति संघर्ष है......

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यह बिहार के युवाओं का शिक्षा के प्रति संघर्ष है यदि बिहार की शिक्षा व्यवस्था अच्छी होती तो बिहार के युवाओं को शिक्षा के लिए इतना संघर्ष नही करना पड़ता उन्हे बस के पीछे लटक कर सफर नही करना होता आप सोचिए जिस बिहार ने देश को सबसे ज्यादा IAS और IPS अधिकारी दिया जो लगभग देश के है विभाग को संभाल रहे है उसी बिहार के शिक्षा को प्राप्त करने के लिए जान की बाजी लगानी पढ़ती है। यह जो बस के पीछे युवा लटक के शिक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं कल यही युवा किसी न किसी जिले में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में बैठकर उसी जिले का लो एंड ऑर्डर संभाल कर उस जिले का भाग्य लिखेंगे। मुझे नहीं पता क्या बिहार के युवाओं को किस नजरिए से देखते हैं लेकिन मैं हमेशा युवाओं को एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में देखता हूं क्यों किया वहीं बिहार के युवा अपने बैग में सतवा भर के घर से निकलते है और एक आईएएस अधिकारी बन के घर आते है और देश के किसी जिले या विभाग में बैठ कर देश को प्रगति, शान्ति और समृद्धि के रास्ते पर धकेल देते है। जिस बिहार की साक्षरता दर सबसे कम है उस बिहार के युवा शिक्षा के लिए जो संघर्ष कर रहे है वह हर रा...

लोगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते-लड़ते का बुरा हो गया यह मुझे पता ही नहीं चला।

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(फोटों:- यह तस्वीर मेरी है जो बड़ी बहन के शादी में दोस्तो ने खींची थी) लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते- लड़ते हम कब बुरे हो गए हमें पता ही नहीं चला हमने कभी भी जाति,धर्म,मजहब और वेशभूषा की लड़ाई नहीं लड़ी मैने हमें से जाति धर्म मजहब और वेशभूषा से हटके लड़ाई लड़ी इस लड़ाई में मुझे क्या मिला और मैंने क्या खोया इसका जिक्र करना बेकार है बचपन से जो भी कुछ देखते आया था और वर्तमान स्थिति में जो भी कुछ देख रहा हूं जो भी कुछ सीख रहा हूं और जो भी कुछ सीख चुका हूं उन सब को मिलाकर यदि मैं अपना अनुभव साझा करूं तो मैंने हमेंसे लड़ाई शिक्षा की, चिकित्सा की, रोजगार की, महिला सुरक्षा की, विकास की एवं एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए लड़ी मेरे पिता ने सही को सही कहना सिखाया है और गलत को गलत कह कर खुलकर विरोध करना सिखाया है गलत कोई भी करें उसका विरोध करना मुनासिब हैं। (फोटो:- आगे से क्रमश:, आदित्य सिंह मौर्य, मैं, आलम खान, बड़ी भाई नंदन यादव, अनीश मौर्य, प्रभाकर सिंह पटेल, अहमद और सबसे किनारे खडा भाई आनंद) अच्छी तरह से मालूम है कि मैं कुछ लोगों को अच्छा नहीं लगता क्योंकि मैं हमेश...

विश्व विजेता सम्राट अशोक के जन्मोत्सव पर विशेष.......

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सम्राट अशोक जब मगध के शासक बने तब मगध साम्राज्य की सुंदरता खुद में मनमोहक था इस राज्य की सुव्यवस्था में चन्द्रगुप्त मौर्य की योग्यता, चाणक्य की नीति और बिंदुसार के सुप्रबंध के सारे गुण थे. राज्या भिषेक के आठवें वर्ष एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना घटी, जिसने अशोक के जीवन को ही नहीं, अपितु भारत के इतिहास को भी बदल दिया.  (फ़ोटो:- विश्व विजेता सम्राट अशोक महान) जब जब पाटलिपुत्र में गृहयुद्ध हुआ तब तक अशोक में नेतृत्व किया और उस गृहयुद्ध को कुचलकर सुशासन की नींव रखी सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में कई राज्यों को जीता उन्होंने अफगानिस्तान से तमिलनाडु तक मगध साम्राज्य को फैलाया। अशोक अब अपनी निपुणता से एक बड़े राज्य का अधिकारी थे. उसे शत्रुओं का भय नहीं था. राज्य में सर्वत्र शांति का साम्राज्य था. परन्तु अशोक को अपनी राजधानी से कुछ ही दूर एक छोटा  सा स्वतंत्र राज्य खटकता रहता था.    उस राज्य का नाम था कलिंग.  जी हां मैं बात उसी कलिंग राज्य कर रहा हूं जिस के युद्ध में सम्राट अशोक विजई जरूर हुए लेकिन उनका महात्मा बुध के तरफ ध्यान आकर्षित हो गया कहा जाता है कि कलिंग...